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साहित्याकार को समाज में बदलाव के लिए अपनी लेखनी चलानी चाहिए – डॉ. प्रीति प्रवीण खरे

आम सभा, भोपाल। महिला काव्य मंच भोपाल इकाई की कार्यकारिणी की मासिक गोष्ठी 29/11 /2020 रविवार को आयोजित की गई, जिसमें समसामयिक विषय पर सभी पदाधिकारियों ने बेहतरीन रचनाओं का पाठ किया। गोष्ठी का संयोजन साधना श्रीवास्तव द्वारा किया गया। गोष्ठी का शुभारम्भ वीणापाणी की सुमधुर वंदना से कीर्ति श्रीवास्तव द्वारा किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. प्रीति प्रवीण खरे व सारस्वत अतिथि के रूप में शशि बंसल गोयल उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का कुशल संचालन साधना श्रीवास्तव जी द्वारा व स्वागत वक्तव्य इकाई अध्यक्ष शशि बंसल गोयल द्वारा दिया गया, गोष्ठी का समापन व आभार नीति श्रीवास्तव जी द्वारा किया गया।

गोष्ठी में लीना वाजपेई -जिंदगी मोहताज हो गई मोह की, ऐ नादान अब तो कर ले बातें स्नेह की …नीति श्रीवास्तव – मैं कहूंगी आज तुमसे, रोक सको तो रोक लो… कीर्ति श्रीवास्तव -कर सको तो कर लो सामना इस जहां का ,वरना कातिल है बहुत तेरी जाँ के …..शालिनी खरे -आदमी तो एक खिलौना है ,जिंदगी एक सपन सलौना है….. प्रतिभा श्रीवास्तव -अम्मा पान खाती थी, अतः सुपारी से हमारी भी जान पहचान रही… जया तागड़े- जीतकर मैं अपनों से जुदा हो जाऊंगा, मुझे जीत नहीं, मुझे हार चाहिए… साधना श्रीवास्तव- किसी पर हंसना न हंसाना है सबको, दूसरों के गम को हल्का बनाना है हमको…. शशि बंसल गोयल- सीमाएं तो उसी क्षण खींच गई थी, जन्मी थी जब ले बेटी का रूप …..डॉ प्रीति प्रवीण खरे- यादों का झरना, सपनों का झरना ,अपनों का झरना, रिश्तो का झरना, दिल में रहता है मन में बहता है, यादों का झरना सपनों का झरना……कविताएं पेश की।।

इस काव्य गोष्ठी में सभी कवयित्रियों ने भावपूर्ण रचनाओं द्वारा कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान की।

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