दैनिक आम सभा, विशाल सोनी, चन्देरी
ऐतिहासिक नगरी चन्देरी जहाँ ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्त्विक, सांस्कृतिक धरोहरों का एक साथ समागम दिखाई देता है। इस छोटे से नगर चन्देरी में भारत भूमि के सभी रंग साथ दिखाई देते हैं। 28 जनवरी 1528 ई. में चन्देरी राजपूत शासक मेदिनीराय और बावर के बीच हुए युद्ध में राजपूत वीरों ने मातृभूमि पर न्यौछावर होकर अपने आपको अमर कर दिया था। युद्ध में मेदिनीराय की सेना के पराजित होने के परिणाम स्वरूप मेदिनीराय (मूल नाम रायचन्द) की पत्नि रानी मणिमाला ने चन्देरी के कीर्तिदुर्ग पर 1600 वीरांगनाओं के साथ अपने सतित्व की रक्षार्थ अग्नि की ज्वालाओं में अपने सर्वस्व का न्यौछावर कर जौहर किया।
29 जनवरी 2019 को भारतीय सांस्कृतिक निधि चन्देरी अध्याय के सहसंयोजक एवं पुरातत्व एवं इतिहासविद् डॉ. अविनाशकुमार जैन सराफ के नेतृत्व में सरस्वती विद्या मन्दिर, चन्देरी के लगभग 500 भैया/बहिनों को कीर्तिदुर्ग स्थित जौहर स्मारक पर जाकर शौर्य दिवस के उपलक्ष्य में पुष्पांजलि समर्पित की। डॉ. जैन ने भैया/बहिनों को सन् 1528 में मेदिनीराय एवं बावर के मध्य हुए चन्देरी के युद्ध का वर्णन किया तथा रानी मणिमाला के शौर्य की मार्मिक गाथा को बताया।
इस उपलक्ष्य में विद्यालय के समस्त आचार्य/दीदी के साथ प्राचार्य श्री जगदीश जी शर्मा ने भी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए डॉ. जैन द्वारा व्यक्त जानकारी को काफी सराहा और कहा कि डॉ. अविनाश जी द्वारा दी गई जानकारी हमारे लिए बिलकुल नई है। आपके द्वारा किया गया यह शोध चन्देरी के इतिहास एवं पुरातत्व को एक नई दिशा दे रहा है आपकी जानकारी में प्रमाणिकता व्यक्त होती है जिसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं।
संध्याकाल में नगर के गणमान्य नागरिकगण जिनमें रामकिशोर मिश्रा, अनिल गुप्ता, अरुण श्रीवास्तव, जगदीश शर्मा, नीरज जैन वर्द्धमान, राहुल याज्ञनिक, चन्द्रप्रकाश मिश्रा आदि ने रृद्धा सुमन अर्पित कर चन्देरी की गौरव गाथा याद किया।