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एटीएम कर रहे लोकडाउन का पालन, खाली डिब्बा साबित हो रहे एटीएम

किसी भी बेंक में सोशल डिस्टेंस नहीं

आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी : नगर चंदेरी में पिछले 2 दिनों से किसी भी बैंक के एटीएम में पैसा नहीं है यह एटीएम नगर में सिर्फ शोपीस खाली डब्बा बन कर रह गए हैं। जबकि यहां पर एसबीआई के दो एटीएम है जिसका एक ही एटीएम श्री कुंज वाला चालू है उसमें भी योनि ऐप डाउनलोड करके ही उसी बैंक का खाता होने पर पैसा आहरण किया जाए जा सकता है।

जबकि पीएनबी, पंजाब एंड सिंध बैंक ,केनरा बैंक ,सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया इन शाखाओं की ए टी एम भी चंदेरी में लगे हुए हैं ,जो सिर्फ डब्बा साबित हो रहे हैं कभी-कभी इनमें पैसा रहता है तो कभी नहीं और 2 दिन से यह एटीएम तो लॉग डाउन का ही पालन करते हुए ताले में ही नजर आ रहे हैं।

बेंक कर्मचारियों का व्यवहार ग्राहकों के प्रति अच्छा नहीं

अब प्रश्न यह उठता है कि मोदी सरकार ने गरीब मजदूर किसान के खाते में पैसे तो डाल दिए मगर बैंक कर्मचारी कोई बताने को तैयार नहीं है कि आए या नहीं जब यह किसान इन कर्मचारियों से खाता दिखवाने जाता है तो यह लोग उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं। जिससे सरकार की हितग्राही योजना का भी यह कर्मचारी प्रचार-प्रसार नहीं करना चाहते हैं।

किसान मजदूर के खाते में यदि पैसा आ भी गया तो अब निकालने की परेशानी एटीएम बंद है और एसबीआई खातेदार गरीब मजदूर किसान क्या जाने योनि ऐप लोड करना वह तो अपना नाम भी नहीं लिख पाता क्या ऐप डाउनलोड करेगा।

और जब वह बैंक की तरफ का रुख करता है तो यहां भी लॉक डाउन यानी बैंक पर ताला लटका मिलता है सिर्फ एक विंडो खुली रहती है जिस पर लेन देन चलता है या किसी बैंक में चैनल से कैदियों की तरह फंसकर ही एक ही ग्राहक अंदर जाने दिया जाता है। बाकी ग्राहक बाहर ही लाइन लगाकर तेज धूप में बगैर किसी सोशल डिस्टेंस के खड़े रहते हैं, धूप में इनकी कोई खबर लेने वाला नहीं रहता है ना तो पानी की कोई व्यवस्था ना ही कोई छाया ना कोई सैनिटाइजर उपलब्ध रहता है।

ऊपर से बैंक कर्मचारियों का इन ग्राहक से अभद्र व्यवहार किसी को कोई शिकायत हो तो उसे अंदर नहीं जाने दिया जाता, जब संवाददाता एसबीआई में एटीएम बंद होने का पूछने गया तो बाहर से अंदर ही नहीं जाने दिया गया। बाहर से यह कह दिया गया की एटीएम कांटेक्ट कंपनी के पास है हमारा कोई संबंध नहीं।

इतना बे रुखा व्यवहार इन ग्राहकों से किया जाता है।

क्या यह बैंक कर्मचारी सरकार की हितग्राही योजना का जरूरतमंद तक प्रचार प्रसार करते होंगे यह विचारणीय प्रश्न है….

ग्राहक सेवा केंद्र मजे में

अब जब ग्राहक को एटीएम बंद ओर बैंक वाले दुत्कार कर भगा देते हैं तो वह आखरी उम्मीद ग्राहक सेवा केंद्र (कियोस्क )पर आता है। उसे मालूम रहता है कि यहां हमारे पैसे लगना है जब भी यहां पैसा निकलता है।

यहां पर ऐसा निकालने के लिए हर ग्राहक को सेवा केंद्र पर पैसो की सेवा करना पड़ती है।

चाहे वह किसी भी बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र हो , ग्राहक को तबीयत से लूटा जाता है।

ग्राहक सेवा केंद्र ही मजे में रहते हैं ग्राहक को पैसा देकर ही पैसा दिया जा रहा है।

मेरी इन बैंक के संबंधित अधिकारी जिले के जिलाधीश महोदय डॉ मंजू शर्मा जी के संज्ञान में आना चाहिए इन किसान गरीब मजदूरों की परेशानी समझी जाए एटीएम शोपीस न रहकर उसमें राशि डलवाई जाए।

बैंक के कर्मचारी ग्राहक से अच्छे पेश आएं उन्हें तपती धूप में ना खड़ा रहने दे ऊपर से छाया करवा दें, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब कोई भी हादसा इन बैंक की लाइन में तपती दोपहरी में हो सकता है जिसके जिम्मेदार सिर्फ यह बैंक के लापरवाह कर्मचारी ही होंगे। इन लाइनों में सोशल डिस्टेंस का कोई पालन नहीं कराया जा रहा है। कर्मचारियों को दो कोई मतलब नहीं इस व्यवस्था को बनाने में कोई रुचि नहीं रहती वह तो ताला डालकर अंदर ऑफिस में एसी में बैठे रहते हैं और जिनकी बदौलत वह एसी में बैठे है, वह इनके ही बेंक का ग्राहक बाहर तपती दोपहरी में इनसे ही गुहार लगा रहा होता है। कैसी विडंबना है यह…….

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