जम्मू
केवल एक दिन शेष रहने के कारण सोमवार को सुबह से ही जम्मू शहर में ई-रिक्शा और ई-ऑटो चालकों की खूब हलचल रही। विभिन्न बाजारों और वर्कशॉप्स पर चालक अपने वाहनों पर रंगीन कोड नंबर प्लेटें और स्ट्रिप्स लगवाने में व्यस्त नजर आए। दुकानों पर प्लेट लगवाने वालों की भीड़ लगी रही। जिला प्रशासन की नई जोन व्यवस्था 29 अक्तूबर से लागू होनी है।
पहले यह नियम 23 अक्तूबर से लागू होना था, लेकिन त्योहारों और चालकों की तैयारियों को देखते हुए प्रशासन ने इसे कुछ दिन बढ़ाकर 29 अक्तूबर तय किया। उपायुक्त जम्मू डॉ. राकेश मिन्हास के आदेश के अनुसार, जिले को छह जोनों में बांटा गया है।
ज़ोन-1 (दक्षिण जम्मू): गुलाबी रंग
ज़ोन-2 (उत्तर जम्मू): नीला रंग
ज़ोन-3 (अखनूर): पीला रंग
ज़ोन-4 (आर.एस.पुरा): लाल रंग
ज़ोन-5 (मढ़): हरा रंग
ज़ोन-6 (नगरोटा): काला रंग
हर ई-वाहन को अपने जोन के रंग और नंबर के साथ प्लेट लगाना अनिवार्य है।
नई व्यवस्था को लेकर चालकों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया है।
कुंदन लाल, एक ई-रिक्शा चालक, ने कहा, “अगर प्रशासन को यह सिस्टम लागू करना था, तो पहले बताया जाना चाहिए था। हममें से कई लोगों ने हाल ही में ई-ऑटो खरीदे हैं। पहले हमें रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसी जगहों से सवारियां मिल जाती थीं, लेकिन अब जोन से बाहर नहीं जा पाएंगे तो ईएमआई चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
मंजीत सिंह, एक ई-ऑटो चालक, ने कहा, “हम रोजाना स्कूल के बच्चों को छोड़ते हैं, जिनमें से कई दूसरे जोन में रहते हैं। जोन प्रतिबंध लागू होने पर आमदनी में कमी आ सकती है और खर्च निकालना कठिन हो जाएगा।”
राकेश कुमार, एक अन्य चालक, ने सवाल उठाया, “हमारे पास ई-रिक्शा के अलावा कोई दूसरा वाहन नहीं है। अगर कभी आपात स्थिति में किसी को अस्पताल ले जाना पड़े और वह अस्पताल दूसरे जोन में हो, तो हम कैसे ले जाएंगे?”
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) जसमीत सिंह ने कहा कि जोन व्यवस्था का मकसद ट्रैफिक सुधारना और चालकों की रोजी-रोटी सुरक्षित रखना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी ई-रिक्शा या ई-ऑटो चालक को आपातकाल में किसी मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए अपने जोन से बाहर जाना पड़े, तो ऐसे सही मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होगी।
Dainik Aam Sabha