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निवेश, उद्योग और व्यापार अब भोपाल की पहचान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का भोपाल में आयोजन हुआ है और इसका लाभ सभी क्षेत्रों को मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश की राजधानी भोपाल की बदलती पहचान का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब यहां की पहचान निवेश, उद्योग और व्यापार से हो रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के शिखर सम्मेलन "टेक इन्वेस्ट मध्यप्रदेश'' में आईटी और टेक क्षेत्र के उद्योगपतियों को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आईटी एक अलग प्रकार की दुनिया है और इस क्षेत्र में निवेश और विस्तार की अनंत संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने आईटी के क्षेत्र में बनाई गई नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि बाकी राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश ने सबसे अच्छी पॉलिसी बनाई है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों का लाभ निवेशकों को मिलेगा। आईटी सेक्टर के विस्तार के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन जगहों पर आईटी के क्षेत्र में चुनौतियां आती थीं, आज वहां भी आईटी हब बन रहे हैं।

विभागीय शिखर सम्मेलन में भारत को अगली प्रौद्योगिकी महाशक्ति बनने के मध्यप्रदेश के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। विभिन्न संस्थाओं से निवेश प्रस्ताव प्राप्त किये एवं एमओयू साइन किये गये। सत्र में आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ड्रोन, एवीजीसी-एक्सआर, डेटा सेंटर और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) के लिए मध्यप्रदेश को वैश्विक केंद्र पर आयोजित सत्रों में विभिन्न पेनालिस्ट ने अपने विचार साझा किये।

शिखर सम्मेलन में विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कुल 25 हजार 640 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग एक लाख 83 हजार 400 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। आईटी और आईटीएस क्षेत्र में 5500 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ। इससे अनुमानित 93 हजार रोजगार सृजित होंगे। ईएसडीएम क्षेत्र में 14 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग 14 हजार रोजगार सृजित होंगे। डेटा सेंटर के लिये 6800 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिसमें 2900 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जीसीसी में 700 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे 40 हजार 500 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। एबीजीसी-एक्सआर में 110 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिसमें 3000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। ड्रोन सेक्टर में 180 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग 30 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

मध्यप्रदेश भारत की डिजिटल क्रांति में सबसे आगे : दुबे

अपर मुख्य सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने राज्य को आईटी क्षेत्र में अग्रणी बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश भारत की डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश लोक सेवाओं की गांरटी प्रदान करने वाला देश में पहला राज्य है। यहां भूमि के पंजीकरण एवं नामांतरण की व्यवस्था ऑनलाइन है। राष्ट्रीय सेवा वितरण मूल्यांकन 2025 में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। देश का सबसे स्वच्छतम शहर इंदौर एवं स्वच्छतम राजधानी भोपाल स्थित है। यहा के टियर टू शहर राज्य की स्थिति को तकनीकी गंतव्य के रूप में मजबूत कर रहे है। एसीएस दुबे ने भारत में जीसीसी इण्डस्ट्री के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मध्यप्रदेश की जीसीसी नीति के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डाला। मध्यप्रदेश में दी जा रही निवेश सुविधाओं के बारे में अवगत कराया।

अपर मुख्य सचिव दुबे ने कहा कि राज्य ने प्रभावशाली आईटी, आईटीएस और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति-2023, जीसीसी नीति-2025, एबीजीसी एक्सआर नीति-2025, ड्रोन प्रमोशन और उपयोग नीति 2025 और समीकंडक्टर नीति 2025 लांच की है। यह नीतियाँ वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने एवं राज्य में विकसित पारिस्थितिक तंत्र बनाने में सहयोग प्रदान कर रही है। नीतियों में कैपेक्स, भूमि और ब्याज छूट, प्लग-एंड-प्ले सुविधा आदि का प्रावधान किया गया है।

भारत को उत्पाद पॉवर हाउस बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये : डॉ. चौधरी

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, सह-संस्थापक और पूर्व एमडी एचसीएल, संस्थापक ईपीआईसी फाउंडेशन डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि ने कहा कि डिजाइन केन्द्रों, स्टार्ट-अप्स, शिक्षाविदों और ग्लोबल मार्केटिंग को एकीकृत कर भारत को उत्पाद पॉवर हाउस बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये। हमें यह कोशिश करना चाहिये कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कम्पनी भारत में स्थापित हों। भारत को उत्पाद राष्ट्र बनाना चाहिये। मध्यप्रदेश में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्षमता बढ़ाने की असीम संभावनाएँ हैं।

डॉ. चौधरी ने तकनीकी निवेश और दीर्घकालिक रणनीतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अगले 20 वर्षों में भारत की कंपनियों को दुनिया की शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल करने की दिशा में सोचना चाहिए। डॉ. चौधरी ने 'मेक इन इंडिया' पहल को और ज़्यादा सुदृढ़ करते हुए इसे 'डिज़ाइन एंड मेक इन इंडिया' में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सेमीकंडक्टर, ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों पर केंद्रित नीतियों को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में यदि भारत को वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अग्रणी बनाना है, तो प्रौद्योगिकी निर्माण में अधिक निवेश करना होगा।

शासकीय सेवाओं का लाभ प्रदान करने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य : कृष्णन

टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा करते हुए सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार एस. कृष्णन ने कहा कि हमें डिजिटल टेक्नोलॉजी पर अधिक जोर देना जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब तकनीक के आधार पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले डिजिटल टेक्नोलॉजी का भारत की जीडीपी में योगदान मात्र 6-7 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 13 प्रतिशत हो गया है और वर्ष 2030 तक इसके 20प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज भारत में 90 प्रतिशत से अधिक मोबाइल फोन असेंबल किए जा रहे हैं, जिससे देश टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा भारत वर्ष 2047 तक विकसित देश बन जायेगा। विश्व की 70 प्रतिशत से अधिक डिजाइन कम्पनियाँ भारत में स्थापित हैं। हम डिजाइन के क्षेत्र में भारत को वैश्विक केन्द्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं। मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक कृषि उत्पादक राज्य है, यहाँ बाइब्रेंट टेक ईको सिस्टम है। राज्य में सेमी-कंडक्टर डिजाइन के लिये टियर-टू शहर हैं। शासकीय सेवाओं का लाभ प्रदान करने में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। यह सभी विशेषताएँ राज्य को भविष्य में आईटी क्षेत्र के केन्द्र के रूप में स्थापित करेंगी।

आईटी और एआई इंडस्ट्री में मध्य प्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण : वशिष्ठ

थोलॉन्स के प्रबंध निदेशक अविनाश वशिष्ठ ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की महत्वपूर्ण पहल के लिए सरकार और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इसे भारत की निवेश यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि आईटी और बीपीओ उद्योग में भारत हमेशा से आउटसोर्सिंग का प्रमुख केंद्र रहा है और कभी वैश्विक आउटसोर्सिंग का आधा हिस्सा अकेले भारत के पास था। अब एआई के क्षेत्र में भी भारत की भूमिका और अधिक सशक्त होने जा रही है। आशा है कि ग्लोबलएआई मार्केट का लगभग 70 प्रतिशत भारत में होगा, क्योंकि यहां पहले से ही इस क्षेत्र की प्रतिभा बड़ी संख्या में उपलब्ध है। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम सही तरीके से आगे बढ़े, तो मध्यप्रदेश और भारत दोनों ही वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी हब बन सकते हैं। वशिष्ठ ने उम्मीद जताई कि यह समिट आने वाले वर्षों में निवेश और तकनीकी क्षेत्र में मध्य प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल होगी। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. यादव को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया और इसे राज्य के विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया।

प्रदेश की नीति देश के भविष्य को देगी आकार : एमडी वशिष्ठ

म.प्र. स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीएसईडीसी) के प्रबंध निदेशक आशीष वशिष्ठ ने कहा कि प्रदेश की नीति और पहल से भारत के डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है। उन्होंने जीआईएस-2025 में "टेक इन्वेस्ट मध्यप्रदेश'' के आयोजन को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिये निवेशकों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर एक विशेष कॉफी टेबल बुक का अनावरण भी किया गया। इसमें मध्यप्रदेश को भारत के उभरते प्रौद्योगिकी गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया।

प्रथम सत्र : बियांड मेट्रोज : द राइज ऑफ टियर-2 एण्ड टियर-3 सिटीज एज जीसीसी हब्स

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) सत्र में बार्कलेज, ईवाई, आईसीसी कोरिया, डीसीटी और थोलोन्स के उद्योग जगत के प्रमुख ने जीसीसी के भविष्य और डिजिटल परिवर्तन पर उनके प्रभाव पर विचार-विमर्श किया। इस सत्र में सीईओ स्टार्टिंनफिनिटी बाला एम.एस., मैनेजिंग डायरेक्टर बार्कलेज आनंद चित्रे, इण्डियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स इन कोरिया के चेयरमेन रमेश अय्यर, मैनेजिंग डायरेक्टर डीसीपी विनीत धवन और पार्टनर ईवाय अरिंदम सेन ने भाग लिया।

सत्र-2 : स्टेबलिशिंग मध्यप्रदेश एज ए डेस्टिनेशन फॉर सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग

मध्यप्रदेश सरकार की सेमीकंडक्टर नीति पर आयोजित विशेष सत्र में इस क्षेत्र से जुड़े कई प्रमुख उद्योगपतियों ने भाग लिया। सत्र में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग के अपर मुख्य सचिव दुबे ने बताया कि मध्यप्रदेश से अहमदाबाद और साणंद की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। वहीं, जेएनपीटी (मुंबई) और मुंद्रा (गुजरात) जैसे प्रमुख बंदरगाहों भी प्रदेश के निकट स्थित हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य में बेहतरीन सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी उपलब्ध है। इससे मध्यप्रदेश को एक आकर्षक निवेश स्थल बनने की असीम संभावनाएँ हैं।

सत्र-3 स्कॉयवर्ड बाउण्ड : स्केलिंग ड्रोन एण्ड स्पेस टेक इन मध्यप्रदेश

इस सत्र में ड्रोन क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे विस्तार पर चर्चा की गयी। इसमें ड्रोन मैप्स, ड्रोन डेस्टिनेशन, सेटेलाइट मेपिंग, ड्रोन डाटा आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। इस सत्र में अपर मुख्य सचिव दुबे, ज्वाइंट सेक्रेटरी सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय संकेत मोंडवे, एयर कमाण्डर राजीव मित्तल, मैनेजिंग डायरेक्टर ड्रोन डेस्टिनेशन चिराग शर्मा, सीईओ प्रखर सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रदीप नामदेव और को-फाउण्डर एण्ड डायरेक्टर इनसाइट एविएशन सिमरन सिंह ने सहभागिता की। इस सत्र में निवेशकों ने ड्रोन के औद्योगिक अनुप्रयोगों और रक्षा प्रौद्योगिकी में ड्रोन की अपार संभावनाओं पर जोर दिया। दुबे ने राज्य की ड्रोन नीति-2025 के बारे में विस्तार से निवेशकों को जानकारी दी।

सत्र-4 : एनीमेटिंग ग्रोथ : मध्यप्रदेश इमर्जिंग एवीजीसी ईको सिस्टम

एवीजीसी-एक्सआर सत्र में मध्यप्रदेश में इस क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में चर्चा की गयी। दुबे ने बताया कि राज्य एबीजीसीआरके प्री-प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन ईको सिस्टम पर कार्य कर रहा है। मध्यप्रदेश की फिल्म एवं टूरिज्म पॉलिसी-2025 नीति मध्यप्रदेश को फिल्म क्षेत्र का हब बनाने में सुविधा प्रदान करती है। यहां की आकर्षक लोकेशन्स, सांस्कृतिक विविधता और ईज ऑफ फिल्मिंग के कारण मध्यप्रदेश फिल्म निर्माण के लिये एक महत्वपूर्ण स्थल हैं। इस सत्र में अपर मुख्य सचिव दुबे, चेयरमेन फिक्की आशीष कुलकर्णी, सीईओ कायरा प्रायवेट लिमिटेड अर्पित दुबे, फाउण्डर बियाण्ड स्टूडियोज भरत भूषण, डायरेक्टर एवं को-क्रियेटर टर्टल पर्पल आदर्श टेक्नोसॉफ्ट प्रायवेट लिमिटेड मनीष राजौरिया, पार्टनर मीडिया एवं इंटरटेनमेंट ईवाय राघव आनंद और एसबीपी कस्टमर प्रोडक्शन रायफ पीटर जेम्स रेपर शामिल हुए।

सत्र का समापन एमपी इनोवेस्ट स्टार्ट-अप पिचिंग प्रतियोगिता के साथ हुआ, जहां उभरते स्टार्ट-अप ने निवेशकों और वेंचर कैपिटलिस्टों के एक प्रतिष्ठित पैनल के सामने अपने नवाचार प्रस्तुत किए। इस प्रतियोगिता में जमना हेल्थ टेक प्रायवेट लिमिटेड, आप्साइट एआई प्रायवेट लिमिटेड, नोवोएज प्रायवेट लिमिटेड आदि स्टार्ट-अप ने भाग लिया। प्रतियोगिता ने स्टार्टअप को फंडिंग हासिल करने और अपने स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान किया।

शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत की प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। एलटीआई माइंडट्री, पंचशील रियल्टी, डिजिटल कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजीज, सिक्योर सर्किट्स, एम्बर एंटरप्राइजेज, थोलोन्स, बियॉन्ड स्टूडियोज, हिमाद्री स्पेशियलिटी केमिकल्स और टेलीपरफॉर्मेंस ग्लोबल बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियाँ शामिल थीं। इन कंपनियों ने प्रदेश में अपने परिचालन का विस्तार करने में गहरी रुचि दिखाई। इसके अतिरिक्त, राज्य के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए आईबीएम, बार्कलेज, माइक्रोसॉफ्ट, वीएलएसआई और एलटीआई माइंडट्री जैसी वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के साथ रणनीतिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

 

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