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हाईकोर्ट ने दी मंजूरी, 300 करोड़ की लागत से बना बीआरटीएस अब हटेगा

इंदौर

12 साल पहले तीन सौ करोड़ की लागत से बना इंदौर का बीआरटीएस हटेगा। इसे लेकर लगी याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इसे हटाने की मंजूरी दी है। अब एक दो दिन में नगर निगम बीआरटीएस की बस लेन हटाने का काम शुरू करेगा।

तीन माह पहले इंदौर में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीआरटीएस को हटाने की घोषणा कर कोर्ट में इस बारे में पक्ष रखने की बात कही थी। 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस पर आठ प्रमुख जंक्शनों पर नगर निगम ब्रिज बनाना चाहता है। इसके लिए बीआरटीएस हटाने का फैसला लिया।

हाईकोर्ट में बीआरटीएस हटाने के लिए याचिका लगी थी, लेकिन बीते कई वर्षों से नगर निगम बीआरटीएस की उपयोगिता बताते हुए अपना पक्ष रखता आ रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव की घोषणा के बाद नगर निगम ने खुद हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि सरकार बीआरटीएस हटाना चाहता है।

मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने इस बारे में कहा कि याचिका में दोनो ही पक्ष बीआरटीएस हटाने पर सहमत थे, इसलिए कानूनी अड़चन नहीं आई। बीआरटीएस के हटने से शहर के ट्रैफिक में अलग सुगमता आएगी और ब्रिज भी बन सकेंगे। बीआरटीएस के हटने से सड़क की चौड़ी हो जाएगी। शुक्रवार से बस लेन हटाने का काम शुरू हो जाएगा।
 
70 हजार से ज्यादा यात्री करते है सफर

इंदौर के निरंजपुर चौराहा से राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा तक बने बीआररटीएस में आई बसों का संचालन एआईसीटीएसएल करता है। प्रतिदिन एक लाख से 70 हजार तक यात्री आई बस में सफर करते है। अब यह बसे मिक्स ट्रैफिक में चलेगी। ज्यादा छात्र और नौकरीपेशा इन बसों का उपयोग करते थे।

देश का पहला प्रोजेक्ट था

जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इंदौर बीआरटीएस देश का पहला स्वीकृत प्रोजेक्ट था। इंदौर के बाद पुणे, दिल्ली, भोपाल, अहबादाबाद में भी बीआरटीएस प्रोजेक्ट मंजूर हुए थे, हालांकि इंदौर से पहले अहमदाबाद का बीआरटीएस बनकर तैयार हो गया था। बीआरटीएस के जंक्शनों पर ब्रिज बनाने के लिए सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है।