* शिक्षा पर दिया जोर, चल समारोह में गांव-गांव से महिला-पुरूष, युवा-युवतियों ने पहुंचकर दिखाई एकजुटता पारंपरिक आदिवासी वेश-भूषा और तीरकमान लेकर डीजे के गानों पर जमकर थिरकते दिखे लोग
आम सभा, गुना।
विश्व आदिवासी दिवस शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ गरिमामयी ढंग से मनाया गया। कार्यक्रम समारोह स्थानीय डॉ. अम्बेडकर मांगलिक भवन चौराहे पर सामूहिक रूप से सम्पन्न हुआ। जिसमें युवा वक्ताओं ने एकजुटता पर बल देते हुए समाज को एक नई दिशा देने का काम किया। जिन्होंने नई युवा पीढ़ी और छात्र-छात्राओं से शिक्षा पर जोर देते हुए पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसा पढ़ो कि लोग आपको नाम से जानने लगें, क्योंकि अभी आप अपने पिता के नाम से जाने जाते हो। उक्त कार्यक्रम के बाद शहर के मुख्य मार्गों से चल समारोह निकाला गया जिसमें कई डीजे चल रहे थे। वहीं डीजे पर चल रहे आदिवासी गानों पर लोग अपनी पारंपरिक वेश-भूषा और हाथों में तीरकमान लेकर बड़े ही उत्साह, उमंग और जोश के साथ जय जोहार के नारों के साथ थिरकते हुए चल रहे थे। जिसमें जिलेभर के आदिवासी संगठन और गांव-गांव से महिला-पुरूष, युवा-युवतियों सहित बच्चों ने बढ़चढक़र हिस्सा लिया। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस के युवा साथी और कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिली।
दरअसल विश्व आदिवासी दिवस के पावन अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम डॉ. अम्बेडकर चौराहे पर आयोजित किया गया। जिसमें जिले भर के विभिन्न आदिवासी समुदाय- दोरला, उरांव, कोरकू, परधान, कंवर सहित सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख एवं आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। समाज के मेहनतकश जुझारू युवा साथी जयस के रणविजय भूरिया ने भी सभी को शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए एकजुटता पर बल दिया। कार्यक्रम में खास बात ये रही कि कार्यक्रम गैर राजनीतिक रहा और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों से दूरी बनाए रखते हुए कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम में समाज की गरिमा को बनाए रखते हुए समाज के ही वरिष्ठ लोग और समाज के ही जनप्रतिनिधियों एवं समाज प्रमुखों द्वारा समाज के शहीद, गौरव और क्रांतिकारियों सहित डॉ. भीमराव अम्बेडकर, बिरसा मुण्डा, टंट्या भील आदि अनेक महापुरूषों के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस मौके पर वक्ताओं ने भी को संबोधित करते हुए जिलेवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा कि आदिवासी जल, जंगल, जमीन के रक्षक और असली मालिक है। इसके लिए हमारे पूर्वज लड़े हैं और हमारा हक छीना जा रहा है, क्योंकि आज मूलभूत सुविधाएं आदिवासी अंचलों में नहीं मिल पा रही हैं। बरसों से संर्घषरत आदिवासी समाज को उनके जमीन का मालिकाना हक नही दिया जा रहा और ना ही उनकी जमीन पर शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशासन लाभान्वित करने की कोशिश कर रहा। इसके बावजूद समाज अपनी संस्कृति, परंपरा और मौलिकता को बनाए रखाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।
चल समारोह का जगह-जगह हुआ स्वागत
शहर की प्रमुख सडक़ों से होकर आदिवासी समाज द्वारा चल समारोह निकाला गया जिसमें लोग जयस के झंडे, तिरंगा और तीरकमानों एवं अपनी वेश-भूषा में डीजे की धुन पर नाचते-गाते और थिरकते हुए चल रहे थे। चल समारोह का जगह-जगह विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और समाजसेवियों द्वारा शुभकामनाएं देते हुए फूल बरसाकर जगह-जगह स्वागत किया। रास्तेभर लोगों ने चल समारोह में शामिल लोगों को जलपान कराया तो कहीं स्वागत-सत्कार किया। इस दौरान सडक़ पर लोगों का काफिला देखते ही बन रहा था। वहीं कार्यक्रम में अच्छी-खासी संख्या देखने को मिली जिसकी हरऐक व्यक्ति ने एकजुटता की दिल से प्रशंसा करते हुए विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दीं।