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विश्व रक्तदान दिवस आज : धन कुबेरों से बड़े दानवीर हैं रक्तदाता

-डॉ. केशव पाण्डेय

रक्त के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। कभी-कभी किसी गंभीर बीमारी या दुर्घटना के कारण शरीर में रक्त की कमी होने पर उसकी पूर्ति के लिए अलग से रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। तब यह रक्त हमें लोगों के द्वारा दान करने से प्राप्त होता है। यही वजह है कि दुनिया भर में लोगों को रक्त दान के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसे में जागरूकता लाने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं, विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम और इसका जीवन में प्रभाव।

आज पूरी दुनिया में विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जा रहा है। गॉव, शहर और महानगर में अनेक आयोजन होंगे। रक्तदाता दूसरों को जीवन देने के लिए अपना रक्तदान करेंगे। सर्व प्रथम बात करते हैं, आखिरकार रक्तदाता दिवस क्यों मनाया जाता है? आप को बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस संघ और रेड क्रीसेंट समाज ने संयुक्त रूप से वर्ष 2004 में पहली बार रक्तदान दिवस मनाकर इसकी शुरूआत की थी। 14 जून 1868 को आस्ट्रियन अमेरिकी वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिवस को विश्व रक्तदाता दिवस घोषित किया गया। क्योंकि लैंडस्टीनर को एबी ओ ब्लड ग्रुप की खोज के लिए चिकित्सा विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मौजूदा परिवेश में रक्त की ज़रूरत दुनियाभर में है और कई निम्न और मध्यम आय वाले देश आजकल रक्त की कमी का सामना कर रहे हैं। विश्व रक्त दाता दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक पहल है, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय रक्त आधान सेवाओं और रक्त दाता संगठनों को राष्ट्रीय और स्थानीय अभियानों को मज़बूत करके स्वैच्छिक रक्त दाता कार्यक्रमों को मजबूत और विस्तारित करने में सहायता मिलती है।
रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से एक थीम घोषित की जाती है। सालभर उसी थीम के अनुरूप कार्य किए जाते हैं। इस साल 2023 में विश्व रक्तदाता दिवस की थीम ’खून दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो” रखी गई है। इस थीम को रक्त और प्लाज्मा दान करने के महत्व को बताने के साथ-साथ लोगों को बार-बार रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से चुना गया है। ताकि रक्त आधान के लिए सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। यह दिन उन लोगों के योगदान का भी सम्मान करता है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में खुद से और बिना पैसे लिए रक्तदान करते हैं।
बावजूद इसके देखने में आता है कि अक्सर बहुत से लोग स्वस्थ होते हुए भी रक्तदान करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में इससे जुड़ीं कई भ्रांतियां होती हैं। जबकि रक्तदान महान कार्य है। पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं। एक बार के रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। रक्तदाता दयालुता का एक छोटा सा कार्य करते हैं, जो महान और बड़े चमत्कार करता है। रक्तदान की कोई कीमत नहीं है लेकिन यह जरूरतमंदों के लिए पूरी दुनिया हो सकता है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि आप और हम मिलकर रक्तदान करें ताकि अन्य लोग भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित हों। पैसा दान करना महान है लेकिन रक्तदान करना सबसे बड़ा महादान है। क्योंकि धन-दौलत के दान करने वाले दानवीर से बड़ा होता है रक्तदाता। यदि वास्तव में आप समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं तो रक्तदान अवश्य करें। क्योंकि धन कुबेरों से बड़े दानवीर होते हैं रक्तदाता।

*(लेखक सांध्य समाचार के प्रधान संपादक हैं)*

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