सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की उन याचिकाओं को खारिज किया जिसमें दोनों नेताओं ने मतदाता सूची का मसौदा टेक्स्ट फॉर्मेट में उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी। भाषा के अनुसार, इसमें उन्होंने मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के विधानसभा चुनावों से पहले वीवीपैट मशीनों की औचक जांच करने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने इस मामले में आठ अक्तूबर को सुनवाई पूरी की थी। सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील विकास सिंह ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे।
वकील वरुण चोपड़ा के जरिए दाखिल अर्जी में कमलनाथ ने कहा था कि पीडीएफ रूप की बजाय नियमों के मुताबिक टेक्स्ट रूप में मतदाता सूची प्रकाशित करने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए और उन्हें अंतिम रूप से प्रकाशित करने से पहले सभी शिकायतों पर तेजी से फैसले लिए जाने चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा था कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह हर चुनाव क्षेत्र में 10 फीसदी मतदान केंद्रों में ईवीएम में डाले गए वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से औचक तौर पर किया जाना चाहिए।