इंदौर : इंदौर की जिला अदालत ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के दो कार्यकर्ताओं को वर्ष 2009 में दर्ज मामले में तीन-तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है और 5000-5000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जिला लोक अभियोजन अधिकारी कार्यालय से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। विज्ञप्ति के मुताबिक प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट हीरालाल सिसोदिया ने मोहम्मद यूनुस और मोहम्मद शफीक को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप संशोधन कानून के संबद्ध प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयान) और अन्य प्रावधानों के तहत सोमवार को दोषी करार दिया तथा सजा सुनाई। विज्ञप्ति में कहा गया कि स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के दोनों कार्यकर्ताओं पर दो संप्रदायों के बीच वैमनस्य फैलाने, देश की एकता-अखंडता को नुकसान पहुंचाने और आतंक के प्रचार-प्रसार के कार्यों में शामिल होने का जुर्म साबित हुआ। यूनुस और शफीक को पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मुखबिर की सूचना पर वर्ष 2009 में इंदौर से गिरफ्तार किया था।