गूगल ने अपने सोशल नेटवर्क गूगल+ (गूगल प्लस)को बंद करने की घोषणा कर दी है. बहुत समय से इसके बंद होने की चर्चाएं थीं. लेकिन एक बग की वजह से 50 हजार लोगों के निजी डाटा में सेंधलगने के बाद इसे आखिरकार बंद कर दिया गया. क्या आपको मालूम है कि गूगल प्लस को बनाने वाला एक भारतीय था. उसका नाम विवेक पॉल गंडोत्रा है.
गंडोत्रा को सिलिकान वैली में लोग विक गंडोत्रा के नाम से जाना जाता है. वह मुंबई में पैदा हुए. डॉन बोस्को स्कूल मुंबई में पढ़े. फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चेन्नई से बीटेक किया. विवेक इसके बाद अमेरिका चले गए. वहीं बस गए. अब वो 50 साल के हो रहे हैं.
माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े
उन्होंने 1991 में माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी की. वहां माइक्रोसॉफ्ट के एपीआई और इंडिपेंडेंट डेवलपर्स के लिए तैयार होने वाले प्लेटफार्म्स को देखने का काम किया. माना जाता है कि विंडो लाइव ऑनलाइन सर्विस के लिए उन्होंने रणनीति बनाई ताकि गूगल के वेब आधारित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशंस का मुकाबला किया जा सके. वहां वह जनरल मैनेजर थे.
उसके बाद उन्होंने 2007 में गूगल का रुख किया. वहां वो सोशल वाइस प्रेसिडेंट थे. वहीं रहते हुए उन्होंने ब्रेडले होरोविट्ज के साथ गूगल प्लस तैयार किया.
गूगल प्लस उतना लोकप्रिय नहीं हो सका. इसके यूजर्स की संख्या घटती जा रही थी. इसके चलते गूगल ने ये पहले ही ये घोषणा कर दी थी कि अगस्त 2019 वो अपनी ये सेवा बंद कर देगी.
गूगल मैप्स और आईओ में खास भूमिका
माना जाता है कि गूगल मैप्स (अप्लीकेशन) और गूगल आईओ के शुरुआती संस्करणों में विवेक ने खास भूमिका निभाई थी. वर्ष 2014 में विवेक ने गूगल से इस्तीफा दे दिया.
अब वो मेडिकल डिवाइस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रमुख कंपनी एलाइवकोर में सीईओ हैं. ये एक स्टार्टअप है, जो दिल की धड़कनों के लिए खतरनाक ब्लड कंडीशंस का पता लगाने का काम करती है. इसे मेडिकल क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है.
उन्होंने कुछ दिनों पहले सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, मैं भाग्यशाली हूं कि मैने विंडोज, गूगल मैप्स, सर्च, यूट्यूब, गूगल फोटोज आदि टीमों के साथ काम किया.
टॉप 100 इनोवेटर्स में चुने गए
वर्ष 2003 में गंडोत्रा को एमआईटी टैक्नॉलॉजी रिव्यू में दुनिया के टॉप 100 इनोवेटर्स में चुना गया था, तब वह 35 साल के थे.
गंडोत्रा की पत्नी क्लाउडिया हैं. उनके दो बच्चे हैं- एक बेटा और एक बेटी. पिछले दिनों उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 23 साल पहले क्लाउडिया तब मेरी जिंदगी में आईं, जब न तो इंटरनेट था और न ही स्मार्टफोन. तब वाईफाई और ड्रोन का जमाना भी नहीं था.