तिरुवनंतपुरम
केरल निकाय चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (UDF) को बड़ी जीत मिली है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (LDF) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने पहली बार ऐतिहासिक जीत हासिल की है। इसके अलावा पलक्कड़ नगर पालिका चुनाव में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की।
2020 के चुनाव में बीजेपी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अबकी बार तीन सीटें कम आई। सत्तारूढ़ यूडीएफ ने पिछले चुनाव के मुकाबले तीन अधिक सीटें जीती। उसके खाते में 17 सीट आई। एलडीएफ को आठ सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में पहली जीत पलक्कड़ में साल 2015 में दर्ज की थी। तब से यहां पार्टी का दबदबा बरकरार है। 2020 में पलक्कड़ में कांग्रेस को 10 और मुस्लिम लीग को चार सीटों पर कामयाबी मिली थी।
राजधानी में सत्ता परिवर्तन, वाम मोर्चे को बड़ा झटका
तिरुवनंतपुरम न सिर्फ केरल की प्रशासनिक राजधानी है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जाती है। लंबे समय से यह क्षेत्र कांग्रेस और LDF के प्रभाव वाला रहा है। ऐसे में यहां बीजेपी की जीत को वाम राजनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
शशि थरूर का गढ़, फिर भी बीजेपी की सेंध
बता दें कि तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर लगातार चार बार सांसद चुने जा चुके हैं। इस कारण यह इलाका पारंपरिक रूप से गैर-बीजेपी माना जाता रहा है, लेकिन नगर निगम चुनाव परिणाम ने इस धारणा को तोड़ दिया है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहर की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “Thank you Thiruvananthapuram!”
पीएम मोदी ने इस जनादेश को केरल की राजनीति में एक ‘वॉटरशेड मोमेंट’ करार देते हुए कहा कि तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी-एनडीए को मिला समर्थन इस बात का संकेत है कि राज्य के लोग मानते हैं कि केरल की विकासात्मक आकांक्षाओं को केवल बीजेपी ही पूरा कर सकती है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी तिरुवनंतपुरम जैसे जीवंत शहर के विकास के लिए काम करेगी और आम लोगों के लिए ‘Ease of Living’ को और बेहतर बनाएगी.
शहरी मतदाताओं का बदला रुझान
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो , यह जीत विधानसभा चुनाव में 2-3 सीटें जीतने से कहीं अधिक प्रभावशाली है। शहरी स्थानीय निकाय में सत्ता हासिल करना इस बात का संकेत है कि शहरी मतदाता अब पारंपरिक LDF-UDF ध्रुवीकरण से बाहर निकाल कर बेहतर विकल्प तलाश रहा है।
चार नगर निगमों में यूडीएफ का कब्जा
केरल की छह में से चार नगर निगमों में यूडीएफ ने जीत हासिल की है। इनमें कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर और कन्नूर शामिल है। इन क्षेत्रों को वामपंथियों का गढ़ कहा जाता है। मगर कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन ने एलडीएफ से कई सीटें छीन ली। तिरुवनंतपुरम में एनडीए ने पहली बार जीत हासिल की है। त्रिपुनिथुरा नगर पालिका पर भी बीजेपी को जीत मिली है। हालांकि थोडुपुझा और कन्हंगड नगरपालिका में उसे मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
एलडीएफ को बड़ा झटका
कोझिकोड एकमात्र नगर निगम है, जहां एलडीएफ का जलवा बरकरार है। 2020 में एलडीएफ ने शानदार प्रदर्शन किया था। उसने छह में से पांच नगर निगमों पर अपना कब्जा जमाया था। वहीं यूडीएफ के खाते में सिर्फ कन्नूर नगर निगम सीट आई थी। बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे केरल में एलडीएफ के एक दशक लंबे शासन के खात्मे में का प्रतीक हैं।
54 नगर पालिकाओं पर यूडीएफ की जीत
यूडीएफ ने नगर निगम, नगरपालिका से ब्लॉक और ग्राम स्तर के चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) भारी नुकसान पहुंचाया। यूडीएफ ने 86 में से 54 नगरपालिकाओं पर जीत हासिल की। 9 और 11 दिसंबर को दो चरणों में केरल के छह नगर निगमों, 14 जिला पंचायतों, 87 नगरपालिकाओं, 152 ब्लॉक पंचायतों और 941 ग्राम पंचायतों में मतदान हुआ।
यूडीएफ: मध्य और उत्तरी केरल के बड़े हिस्से में यूडीएफ की पकड़ मजबूत रही। मोर्चा ने एर्नाकुलम, अलाप्पुझा, मलप्पुरम, कोट्टायम और पलक्कड़ जिले में अपना जलवा बरकरार रखा। इसके अलावा इडुक्की और पथानामथिट्टा में अपना प्रदर्शन बेहतरीन किया।
एलडीएफ: अबकी चुनाव में एलडीएफ को अपने कुछ गढ़ खोने पड़े। पिछले चुनाव में जहां 5 नगर निगमों पर जीत हासिल की थी। अबकी सिर्फ एक ही सीट खाते में आई। नगर पालिकाओं की बात करें तो पार्टी अपने पारंपरिक गढ़ जैसे तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और कोझिकोड जिलों में अपना दबदबा बरकरार रखने में कामयाबी रही।
Dainik Aam Sabha