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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए 1 अप्रैल 2025 से एक बड़ा बदलाव होगा

लखनऊ
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए 1 अप्रैल 2025 से एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूपीआई ट्रांजैक्शंस को सुरक्षित बनाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इन नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंकों और यूपीआई ऐप्स को हर हफ्ते अपने मोबाइल नंबरों को अपडेट करना होगा, ताकि गलत ट्रांजेक्शन से जुड़ी समस्याओं को रोका जा सके।

NPCI की नई गाइडलाइन का उद्देश्य:
NPCI ने यह कदम यूपीआई सिस्टम को और भी अधिक सुरक्षित बनाने के लिए उठाया है। अक्सर मोबाइल नंबर बदलने या पुराने मोबाइल नंबरों के री-असाइन होने की वजह से गलत यूपीआई ट्रांजेक्शंस की आशंका बढ़ जाती थी। इसे ध्यान में रखते हुए NPCI ने बैंकों और यूपीआई ऐप्स को निर्देशित किया है कि वे नियमित रूप से मोबाइल नंबरों को अपडेट करें। इस बदलाव से पुराने नंबरों की वजह से होने वाली गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा, और यूपीआई सिस्टम पहले से ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद होगा।

बैंकों और यूपीआई ऐप्स के लिए गाइडलाइन:
NPCI ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी बैंक और यूपीआई ऐप्स को 31 मार्च 2025 तक नए नियमों का पालन करना होगा। 1 अप्रैल 2025 से हर महीने सर्विस प्रोवाइडर्स को NPCI को रिपोर्ट भेजनी होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे यूपीआई आईडी को सही ढंग से मैनेज कर रहे हैं।

मोबाइल नंबर रीसाइक्लिंग और उसकी समस्या:
भारत में दूरसंचार विभाग के नियमों के अनुसार, यदि कोई मोबाइल नंबर 90 दिनों तक उपयोग में नहीं आता है, तो उसे नए ग्राहक को अलॉट किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को मोबाइल रीसाइक्लिंग कहा जाता है। जब एक पुराना मोबाइल नंबर नए ग्राहक को दिया जाता है, तो इससे जुड़े यूपीआई अकाउंट्स और ट्रांजेक्शंस में गड़बड़ी हो सकती है, जो भविष्य में गलत ट्रांजेक्शन का कारण बन सकती है।