– कोविड प्रोटोकॉल के तहत मरीजों को दिया जा रहा है उपचार
– अस्पताल अधीक्षक ने वस्तुस्थिति की विस्तार से जानकारी दी
आम सभा, भोपाल : जयप्रकाश अस्पताल के अधीक्षक एवं सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव ने आक्सीजन की कमीं से 2 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत सम्बन्धी खबरों पर स्पष्टीकरण और वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए इस तरह की खबरों को निराधार बताया है।
डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि वस्तुस्थिति यह है कि जय प्रकाश चिकित्सालय भोपाल में सेंटर आक्सीजन सप्लाई प्रत्येक बेड पर उपलब्ध कराई गई है और आक्सीजन हेतु एक सेंट्रल स्टेशन भी बनाया गया है । जिसके माध्यम से प्रत्येक बेड पर आक्सीजन सप्लाई की जाती है । जय प्रकाश चिकित्सालय भोपाल में 31 मार्च की स्थिति में कुल 64 आक्सीजन सिलेंडर भरे हुये थे जो आक्सीजन प्लांट पर ही रखे हुये है । सिलेडर की कमी नहीं थी । आक्सीजन की प्रदायगी सेंट्रल आक्सीजन पाइप लाईन के माध्यम से प्रत्येक बेड पर मरीजों की आवश्यकता अनुसार चिकित्सक की देखरेख में प्रदाय की जा रही थी ।
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि आक्सीजन की कमी के कारण 02 मरीजों की मृत्यु हुयी है जबकि जिन दोनो मरीजों की मृत्यु हुयी है,वे बेहद गम्भीर स्थिति में अस्पताल लाये गए थे ।उन्होंने बताया कि श्रीमती रामरती देवी उम्र 50 वर्ष निवासी कल्याण नगर भोपाल दिनांक 28 मार्च को रात्रि 9.54 मिनिट पर जय प्रकाश चिकित्सालय भोपाल के कोविड -19 आईसीयू में बुखार सांस लेने में तकलीफ के कारण भर्ती हुयी । मरीज को उक्त तकलीफ भर्ती होने से पूर्व 4 दिन से निरंतर थी साथ ही वे मधुमेह रोग से पीड़ित थी । भर्ती के समय मरीज का पल्स रेट 84 प्रति मिनिट थी । तापमान सामान्य था । ब्लड प्रेशर 120/77 एमएमएचजी था , आरबीएस 222 मिलीग्राम प्रतिशत , शरीर का आक्सीजन लेवल 87 प्रतिशत था ।
फेफड़े में इन्फेक्शन के लक्षण पाये गये थे । कोचिड -19 टेस्ट भी उसी दिनांक को ही पॉजिटिव पायी गयी थी । मरीज को भर्ती कर तत्काल कोविड प्रोटोकाल के तहत उपचार प्रारंभ किया गया । मरीज की बीमारी की गंभीरता के बारे में मरीज के परिजनों को बता दिया गया था तथा समय समय पर मरीज की स्थिति की जानकारी परिजनों को दी जा रही थी । भर्ती के दौरान बेहोशी के चिकित्सक द्वारा मरीज को सीपेप से आक्सीजन प्रदाय किया गया । मरीज की हालत को देखते हुये ड्यूटी डॉक्टर द्वारा 29 मार्च सायंकाल 5 बजे हायर सेंटरहमीदिया चिकित्सालय ) में रेफर करने हेतु प्रयास किया गया । हमीदिया चिकित्सालय में पलंग की अनुउपलब्धता के कारण शिफ्ट नहीं किया गया । मरीज के परिजनो को मरीज की स्थिति के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गयी थी ।
मरीज के परिवारजन को मरीज की गंभीर स्थिति बताते हुये लिखित में मरीज के परिजनो द्वारा सहमति दी गई कि मरीज को यहीं पर रखा जाये हमीदिया न भेजा जाये । मरीज को भर्ती से लेकर मृत्यु के पूर्व तक सभी प्रकार की चिकित्सीय विधा अनुसार कोविड 19 के उपचार हेतु जारी दिशा निर्देश के अनुसार इलाज किया गया तथा सभी प्रकार की जांचे कराई गयी । इलाज एवं देख रेख मे कोई लापरवाही नहीं बरती गयी है न ही इलाज में आक्सीजन की कमी हुयी है । आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी । मरीज के आवश्यकतानुसार आक्सीजन कुशल चिकित्सक के नेतृत्व में प्रदाय की गयी । मरीज का मृत शरीर कोविङ -19 प्रोटोकाल अनुसार नगर निगम को सौंपा गया है । मरीज के परीजनों को जानकारी कोविड से मृत होने पर क्या प्रभाव पड़ता है उसकी जानकारी नहीं होने के कारण बॉडी ले जाना चाहते थे परंतु उन्हे समझाईश दी गयी । इसके बाद वे मान गये ।
दूसरे प्रकरण के बारे में डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि श्री सी बी मेश्राम उम्र 69 वर्ष दिनांक 31मार्च को शाम 6.34 मिनिट पर गंभीर अवस्था में ड्यूटी डॉक्टर द्वारा रैपिड टेस्ट नेगेटिव होने के कारण आईसीयू में भर्ती किया गया । भर्ती के समय पेशेंट का आक्सीजन कन्संट्रेशन 70 प्रतिशत था । आरआर 32 प्रति मिनिट , पल्स 130 प्रति मिनिट , बीपी 120/70 | मरीज का स्वास्थ्य परीक्षण करने पर छाती संकामित पायी गयी । मरीज के एक्स रे एवं सीटी स्केन के रिपोर्ट में लंग्स का इनवाल्वमेंट 70 प्रतिशत पाया गया । इसके पहले 10 दिन से बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ एवं कफ खांसी थी जिसका इलाज प्राइवेट करवा रहा थे । आरटीपीसीआर किया गया ।
सारे लक्षणों को देखते हुये कोविड की शंका करते हुये उन्हें सम वार्ड में शिफ्ट किया गया । इलाज में सारे प्रोटोकाल का पालन किया गया । मरीज के परीजन को सारी स्थिति समझाई गयी । मरीज की हालत पूर्व से ही खराब चल रही थी । आक्सीजन का लेवल कम था । आयु की अधिकता तथा मरीज के छाती पूर्ण रूप से संक्रामित होने के कारण पूर्ण इलाज देने के बावजूद मरीज को नहीं बचाया जा सका । एक अप्रैल.2021 को रात्री 3.15 उनकी मृत्यु हो गयी । मरीज की स्थिति के संबंध में मरीज के परिजनों को समय समय पर बताया जाता रहा है । इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गयी है । दवाये एवं आक्सीजन की उपलब्धता कराई गयी है । आक्सीजन में किसी प्रकार की कमी नहीं थी ।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त दोनो प्रकरणों में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी है । ना ही आक्सीजन की कमी थी । आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी । जिसे आक्सीजन सेंट्रल लाईन के माध्यम से चिकित्सक के उपस्थिति में मरीज को दी जाती है तथा निरंतर आक्सीजन की मॉनिटरिंग कितनी दी जा रही है ड्यूटी डॉक्टर द्वारा की जाती है। सिविल सर्जन ने अपील भी की है कि बिना तथ्यों के ऐसी खबरें प्रकाशित और प्रसारित नही करे जिससे नागरिको में भय का वातावरण बने।