आम सभा, भोपाल : टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्वरंग की तीसरे दिन की शाम समर्पित रही उषा गांगुली द्वारा निर्देशित नाटक ‘चंडालिका’ के नाम। ग्रुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित उत्कृष्ट नाटकों में से एक चंडालिका का नवीन रूपांतरण कोलकाता के रंगकर्मी समूह द्वारा प्रदर्शित किया गया। इस नाटक को मूल रूप में कुछ परिवर्तनों के साथ प्रस्तुत किया गया। इसमें छुआछूत का आडंबर, प्रेम की सहजता, मानवीय मन की आकांक्षा और दुविधा को बहुत बारीकी से दर्शाया गया। इसमें नाट्य निर्देशिका उषा गांगुली ने मंच की भाषा के साथ-साथ कलाकारों की वेशभूषा, क्राफ्ट के उपयोग, संवाद अदायगी के उत्कृष्ट समन्वय ने दर्शकों के मन पर अमिट छाप छोड़ी। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम भी सम्मिलित हुए। उन्हें विश्विद्यालय के कुलसचिव विजय सिंह ने स्मृति चिह्न और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विश्वरंग महोत्सव से अमृत निकलकर आएगा। दुनिया को एक करने में कला और साहित्य की बड़ी भूमिका होगी। विश्वरंग भविष्य की दिशा तय करेगा।
नाटक की निर्देशिका उषा गांगुली ने बताया नाटक में आज के समय के अनुसार कुछ परिवर्तन किए गए हैं जिसने इसे दर्शकों के लिए और अधिक रोचक बना दिया है। चंडालिका के प्रदर्शन का आधार जीवन का चक्र है जिसमे प्रकृति के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को भी सम्मिलित किया गया है। इस नाटक में माँ और बेटी के संबंधों और समाज के अनेक अस्पृश्य विषयों पर भी प्रकाश डाला गया है। 1 घंटे 20 मिनट की इस प्रस्तुति में जीवन के अनेक पहलुओं को छुआ है, जिनके बारे में गुरुर्देव रबींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। ये प्रस्तुति समकालीन दुनिया के सम्मलेन के साथ प्रदस्र्हित की गई एक अवधारणा का नवीन चित्रण है। इस नाटक में कलाकारों के काम और संगीत के सम्मेलन का अच्छा प्रदर्शन किया गया। दर्शकों को लुभाने के लिए वास्तविक सार को बरकरार रखते हुए नाटक को मूल से थोड़ा रूपांतरित किया गया है। हिंदुस्तानी भाषा का इस्तेमाल दिलों को छूने का काम करता है।
नगीन तनवीर की चोला माटी के और ससुराल गेंदा फूल की प्रस्तुति ने श्रोताओं को खूब झुमाया
रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग के तीसरे दिन सायं कालीन सभा के पूर्वरंग में महान नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर की सुपुत्री लोक गायिका नगीन तनवीर द्वारा दी गई रंग संगीत की प्रस्तुति ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। जीवन दर्शन पर आधारित दुश्मन नाटक के गाने ‘नाव भी है तैयार’ से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। संगीत से सजी शाम को अपने गायन से और भी सुरमयी बनाते हुए नगीन तनवीर ने राजा से हो गए मोला बैर, मशहूर ग़ज़ल गए दिनों का सुराग लेकर, छुअल का बदरे, चोला माटी के साथ-साथ ससुराल गेंदा फूल की प्रस्तुति से मिट्टी की खुशबू पूरे वातावरण में बिखेर दी। इनके साथ तबले पर रवींद्र राव, हारमोनियम पर रविलाल सांगले, ढोलक पर प्रशांत श्रीवास्तव, मरकस पर सोनिका यादव ने नगीन तनवीर का भरपूर साथ देते हुए शाम को को सुरों में रंग दिया।
विश्वरंग में रंगमंच की रीढ ‘नेपथ्य’ पर हुआ संवाद
टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्वरंग में बुधवार शाम को ‘रंगमंच के नेपथ्य’ पर संवाद सत्र आयोजित किया गया। दरअसल ‘रंगमंच के नेपथ्य’ का तात्पर्य किसी शो के दौरान बैक स्टेज व्यवस्थाओं से है। कार्यक्रम में नेपथ्य की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कोलकाता से आईं प्रख्यात रंगकर्मी उषा गांगुली ने कहा कि बैक स्टेज के लोगों को पहले मंच पर बुलाने की भी ज़हमत नहीं की जाती थी लेकिन अब थियेटर बदल रहा है और इनके बिना थियेटर की कल्पना भी सम्भव नहीं है। रंगकर्मी अनूप जोशी ने कहा कि नेपथ्य किसी भी नाटक की रीढ़ की हड्डी है, नाटक की सफलता में इसका अहम योगदान होता है। वरिष्ठ रंग निर्देशक केजी त्रिवेदी के कहा कि मंच पर किरदार निभाने वाले कलाकार से बड़ा नेपथ्यकर्मी होता है, भले ही इसे कोई रंगकर्मी माने या न मानें। एक सवाल के जवाब में उषा गांगुली ने बताया कि मैंने कभी थियेटर की पढ़ाई नहीं की लेकिन मेरा जोर हमेशा से ही नेपथ्य पर अधिक रहा है, मैंने कई बड़े संस्थानों में नेपथ्य की शिक्षा भी दी। विडम्बना है कि नेपथ्य को हमेशा रंगमंच से छोटा दर्शाया जाता है, लेकिन यह बहुत गलत है। आने वाली पीढ़ी को नेपथ्य के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।
विश्वरंग का तीसरा दिन : वायोलिन वादन के साथ हुई सुरमय शुरुआत
रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कला, संस्कृति और साहित्य महोत्सव विश्व रंग के तीसरे दिन की शुरुआत मंगलाचरण में वायोलिन वादन के साथ हुई। इस सत्र में ख्याति प्राप्त वायोलिन वादक अमित मलिक ने भक्ति गीतों की सुंदर प्रस्तुति से सभागार में मौजूद श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अमित ने राम का गुणगान करिए.., बाजे मुरलिया.., श्री रामचंद्र कृपालु भजमन…, ठुमक चलत रामचंद्र, वैष्णों जन को तेने कहिये… भक्ति गीतों से अपनी संगीतमय प्रस्तुति का समापन किया। अमित के साथ नईम अल्लाहवाले ने तबले पर संगत दी। भक्ति गीतों के कार्यक्रम के बाद सभागार लंबे समय तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। अमित मालिक 8 साल की उम्र से वायोलिन वादन कर रहे हैं।
विश्वरंग कलाकारों के किए स्वर्ग समान -अमित
विश्वरंग में अपने बेहतरीन वायोलिन वादन से समां बांधने वाले प्रख्यात कलाकार अमित मलिक ने कहा कि विश्वरंग कलाकारों के लिए स्वर्ग है। मुझे गर्व है कि इस महाकुंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिला, मैं विश्व रंग को शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम होते रहें। टैगौर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने स्मृति चिह्न भेंटकर अमित को सम्मानित किया।
विश्वरंग : व्यक्ति से व्यक्ति में संवाद स्थापित करती हैं कविताएं
टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के तीसरे दिन बुधवार को आयोजित ‘हिंदी कवियों का कविता पाठ’ के पहले सत्र में देशभर से आये हिंदी कवियों ने श्रोताओं के हृदय को अनेक रसों से सराबोर कर दिया। कविता पाठ के इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ऋतुराज ने की। इसके साथ ही टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और साहित्यकार संतोष चौबे, जितेंद्र श्रीवास्तव, मोहन सगोरिया, महेंद्र गगन, युवा कवि कुमार अनुपम ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति भारत भवन सभागर में दी। सत्र की शुरुआत में संचालन कर रहे युवा हृदय सम्राट कवि कुमार अनुपम ने अनुपस्थिति, पिता और अंतरण जैसी कविताओं से कवितापाठ की शुरुआत की।