नई दिल्ली:
बीते कुछ समय से लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रपात जिस तरह से राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, उससे राजद की परेशानियां और बढ़ने लगी हैं. राजनीतिक सक्रियता बढ़ाने को अमादा तेजप्रताप की वजह से राजद में कई बार फूट की खबरें आई हैं. दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं की परेशानी है कि जब से उनकी पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पटना में अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ायी है, तब से ऐसे कई मौके आए हैं जब पार्टी की किरकिरी और फ़ज़ीहत हुई है. हालांकि, यह बात और है कि अपने बयानों से तेजप्रताप हर दिन मीडिया में सुर्खियां तो बटोर ले रहे हैं. एक बार फिर से नए साल में राजनीतिक बयानबाजी से तेजप्रताप ने राजद नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी है.
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दरअसल, कुछ दिनों पहले पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत मनेर विधानसभा सीट से विधायक भाई वीरेंद्र ने इच्छा ज़ाहिर की थी कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बन सकते हैं लेकिन ये बात तेज प्रताप को पसंद नहीं आयी और इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने साफ़ कह दिया कि जहां तक प्रत्याशी का सवाल है तो वो मीसा दीदी ही होंगी. तेज प्रताप ने इसके बाद मनीर विधानसभा के अंतर्गत लोगों से मुलाक़ात भी की.
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मनेर के विधायक और राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र के हाल ही में दिये गए उस बयान के बारे में पूछे जाने पर, जिसमें उन्होंने पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी, यादव ने कहा, ‘पाटलिपुत्र के लोग मीसा दीदी को चाहते हैं. मतदाता लालू प्रसाद के नाम पर वोट डालते हैं. इसमें न तो भाई वीरेंद्र और न ही मैं कुछ कर सकता हूं.’
इस बीच तेज प्रताप के बयान पर भाई वीरेंद्र ने एक बार फिर कहा कि उनके नेता लालू प्रसाद हैं और किसी और के बयान पर वह संज्ञान नहीं लेते. वहीं लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकारी और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से जब इस संबंध में पूछा गया तो उनका कहना था कौन क्या बोलता है उन्हें उससे कोई मतलब नहीं. उप पाटलिपुत्रा का प्रत्याशी हो या किसी और संसदीय क्षेत्र का ये तो पार्टी सुप्रीमो लालू जी ही तय करेंगे. तेजस्वी के बयान से साफ़ है कि वो तेज़ प्रताप के बयान से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते हैं और साथ ही साथ भाई वीरेंद्र जैसे पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को भी वो अपने साथ रखना चाहते हैं.
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पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि तेज प्रताप हर दिन उल-जुलूल बयान देकर मीडिया की सुर्खियों में रहना चाहते हैं और वह राजद के सत्ता केंद्र में आना चाहते हैं. मगर पार्टी में उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता. बता दें कि परिसीमन के बाद 2008 में बनी पाटलिपुत्र लोकसभा सीट को राजद के ‘प्रथम परिवार’ के लिए प्रतिष्ठा के रूप में देखा जाता है, क्योंकि लालू प्रसाद और उनकी बेटी दोनों ने यहां से चुनाव लड़ा और दोनों को सफलता नहीं मिली. राजद अध्यक्ष 2009 में एक समय अपने करीबी रहे रंजन यादव से यहां से चुनाव हार गए थे. रंजन यादव जद (यू) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. इसके बाद मीसा 2014 में यहां से चुनाव लड़ीं और भाजपा के राम कृपाल यादव से हार गईं. रामकृपाल भी एक समय लालू के बहुत करीबी रहे थे.