सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को झटका देते हुए पश्चिम बंगाल में पार्टी की रथयात्रा को इजाजत देने से इनकार कर दिया. मंगलवार को कोर्ट ने कहा है कि इस रथयात्रा को लेकर राज्य सरकार की तरफ से खड़े किए गए सवाल निराधार नहीं हैं. लिहाजा बीजेपी अपनी सभाएं और रैलियों के लिए नए सिरे से कार्यक्रम का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे. वहीं कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि बीजेपी के नए प्रस्ताव पर संवैधानिक प्रावधान को ध्यान में रखते हुए फैसला ले ताकि राजनीतिक दल का मौलिक अधिकार प्रभावित न हो.
शीर्ष अदालत में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कहा गया कि पुलिस और खुफिया जानकारी के मुताबिक राज्य में बीजेपी की रथयात्रा की वजह से कानून व्यवस्था में दिक्कत हो सकती है. लेकिन सरकार को पार्टी की छोटी-बड़ी सभा से कोई परेशानी नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी ने कहा कि रथयात्रा में 40 दिनों का कार्यक्रम प्रस्तावित था, लेकिन राज्य सरकार के रुख को देखते हुए पार्टी ने उसमें कटौती की है.
गौरतलब है कि दिसंबर में बीजेपी की प्रदेश इकाई पश्चिम बंगाल में रथयात्रा निकालने वाली थी, इस यात्रा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के शामिल होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होने वाले थे. लेकिन राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए यात्रा पर रोक लगा दी. जिसके बाद बीजेपी ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की.
लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए बीजेपी की राज्य में 3 रथयात्राएं प्रस्तावित थीं. इनमें पहली यात्रा 7 दिसंबर को कूचबिहार से, दूसरी यात्रा 9 दिसंबर को 24 परगना और 14 दिसंबर को तीसरी यात्रा बीरभूम से निकलनी थी. लेकिन राज्य सरकार और हाईकोर्ट से इजाजत न मिलने के कारण रथयात्रा नहीं निकल पाई.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ा है. पिछले साल हुए स्थानीय/पंचायत चुनाव में बीजेपी राज्य में बड़ी ताकत बनकर उभरी थी. इस लिहाज से आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी राज्य में अपने विस्तार की संभावना देख रही है. सीटों के लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी ने इस बार पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. मौजूदा लोकसभा में पश्चिम बंगाल से 34 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, 2 सीटों पर बीजेपी, 4 सीटों पर कांग्रेस और 2 सीट पर सीपीएम का कब्जा है.
बीजेपी ने इस रथयात्रा प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है और बीजेपी नेतृत्व लगातार राज्य सरकार के रवैये को असंवैधानिक और तानाशाही बताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करता रहा है.