समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव इस बात से नाखुश हैं कि उनके गढ़ में कभी उनकी धुर राजनीतिक विरोधी रहीं मायावती की रैली होने जा रही है. मुलायम के करीबी सूत्र बताते हैं कि यूपी की सियासत में ये नेताजी के कद को कम करने की कोशिश है, मुलायम के करीबी सूत्र मानते हैं कि मुलायम सिंह का कद कांशीराम के बराबर है ना कि मायावती के बराबर.
बता दें कि 19 अप्रैल को मायावती मैनपुरी में अखिलेश यादव के साथ एक साझा रैली को संबोधित करेंगी. मैनपुरी मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक कर्मस्थली रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव जीते थे. बाद में मुलायम ने मैनपुरी सीट खाली कर दी थी और यहां से उनके पोते तेज प्रताप सपा के टिकट पर सांसद बने. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सपा ने मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी से प्रत्याशी घोषित किया है.
भुला दी पुरानी दुश्मनी!
यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि कैस मायावती गेस्ट हाउस कांड की कड़वी यादों को भूलाकर मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगती हैं. गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती और मुलायम के बीच जबरदस्त राजनीतिक अदावत रही है.
मैनपुरी में 19 अप्रैल को प्रस्तावित सपा-बसपा-आरएलडी की साझा रैली में अगर मायावती आईं तो लगभग ढाई दशक बाद मायावती-मुलायम एक मंच पर होंगे. लेकिन लगभग ढाई दशक पहले जहां मुलायम ने सियासत में अपने बराबरी की हैसियत रखने वाले काशीराम के साथ मंच साझा की थी, 19 अप्रैल में उन्हें मायावती के साथ मंच साझा करना होगा. नेताजी के समर्थक मानते हैं कि इससे ये संदेश जाएगा कि अपने गढ़ में भी मुलायम सिंह को जीतने के लिए मायावती के सहारे की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि मायावती इस मंच पर इस बार बड़े कद के साथ होंगी, ज्यादा सीटों के साथ होंगी.
मतदाताओं को संदेश देने के लिए अखिलेश यादव और मायावती एक साथ प्रदेश भर में 11 रैलियां कर रहे हैं. घोषित कार्यक्रम के मुताबिक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और आरएलडी प्रमुख चौधरी अजित सिंह की साझा रैलियों की शुरुआत 7 अप्रैल से होगी जो 16 मई तक चलेगी. जिन स्थानों पर ये रैलियां की जाएंगी उनमें देवबंद, मैनपुरी, बदायूं, आगरा, मैनपुरी, रामपुर और अयोध्या, कन्नौज, अयोध्या, आजमगढ़, गोरखपुर, वाराणसी शामिल है.