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टॉर्च की रोशनी में पैर पर दिखे सर्प दंश के निशान, डॉक्टर ने बचाई बच्ची की जान

(संजीव कुमार निगम)
आम सभा, शहडोल।

मध्य प्रदेश के शहडोल में एक अलग तरह का मामला सामने आया है। जिला अस्पताल में दस साल की बच्ची का इलाज करने के दौरान डॉक्टर की नजर पैरों पर सर्पदंश के निशान पर पड़ी। इस आधार पर उपचार हुआ और फिर उसकी जान बचाई जा सकी।
*पैर पर सर्पदंश का निशान देखकर किया इलाज*-
शहडोल के शासकीय कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल में एक अलग तरह का मामला सामने आया है। दस वर्षीय बच्ची के परिजन उसे अर्ध-बेहोशी की हालत में अस्पताल लाए थे। उनका कहना था कि बच्ची ने जामुन खाए हैं और उसके बाद से उसकी सेहत खराब है। हालांकि, डॉ. सुनील हथगेल ने टॉर्च की रोशनी में भी पैरों पर सर्पदंश का निशान पहचान लिया और इलाज किया। फायदा यह हुआ कि बच्ची अब स्वस्थ है। यदि गलत दवा दे दी गई होती तो स्थिति बिगड़ सकती थी।
मामला शहडोल जिले के जैतपुर का है। नीलम कोल, उम्र 10 वर्ष, पिता बाली कोल, को परिजन बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुचे। परिजनों ने पीआईसीयू वार्ड के डॉक्टरों को बताया कि जामुन खाने के बाद से बच्ची के पेट व शरीर मे दर्द शुरू हुआ। उसे अस्पताल तक लाते-लाते वह बेहोशी की हालत में पहुंच गई। बच्ची को पीआईसीयू में भर्ती किया गया। उपचार शुरू हो गया था। इस बीच, बच्ची का दर्द बढ़ते-बढ़ते गले तक बढ़ गया। वह आंख भी खोल नहीं पा रही थी। उसे पेट के साथ-साथ पूरे शरीर मे तेज दर्द हो रहा था। उसकी स्थिति में कोई संतोषजनक सुधार नहीं हुआ था। इसके बाद जब शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार हथगेल राउंड पर आए और बच्ची को देखा। उसकी हिस्ट्री पूछी। परिजनों ने जामुन खाने के बाद दर्द होने की बात बताई। बच्ची की हालत को देख डॉक्टर हाथगेल को संदेह हुआ कि बच्ची को किसी जहरीले जीव-जंतु ने काटा है। उसके विष का असर दिख रहा है। उन्होंने टॉर्च की रौशनी मे बच्ची के हाथ-पैर को बड़ी बारीकी से देखा। बाएं पैर में सर्पदंश का हल्का निशान उन्हें दिखा। उन्हें समझ आ गया कि बच्ची सर्पदंश का शिकार हुईं है। डॉ. हाथगेल ने उसका सर्प दंश का इलाज शुरू किया। छह दिन के उपचार के बाद अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ्य है।