श्रीनगर :
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों की वापसी की खबर सामने आ रही है। ताजा खबर के मुताबिक 74 वर्षीय कश्मीरी पंडित रोशन लाल मावा जो 1990 अक्टूबर में गोलियों से छलनी हो गए थे जिसमें वे बुरी तरह से घायल हो गए थे। उन्होंने अब श्रीनगर के जैना कडाल में गाडा कोचा में अपने दुकान को दोबारा से खोल दिया है। बुधवार को ये कश्मीरी पंडित श्रीनगर वापस आ गए हैं। तीस साल पहले इस कश्मीरी पंडित को हमले के बाद यहां से निकाल दिया गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया कि पिस्टल रखे एक युवक ने मुझे बेहद करीब से चार गोली मारी थी। एक गोली मेरे सिर में भी लगी थी। ये हमला उनकी दुकान पर ही किया गया था। पंडित ने आगे बताया कि इसके बाद मेरी पत्नी और मेरा परिवार मुझे इलाज के लिए दिल्ली ले आया यहां पर आकर मैंने पुरानी दिल्ली के खड़ी बावली इलाके में ड्राय फ्रूट्स (सूखे मेवे) की होलसेल दुकान खोल ली।
उन्होंने आगे बताया कि वह दिल्ली में पूरी तरह से सेटल हो चुका था लेकिन वह कहीं न कहीं वापस श्रीनगर लौटना चाहता था। रोशन लाल ने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर में 1990 में हुए आतंकी हमलों के पहले बेहद अच्छी और खुशहाल जिंदगी जी रहा था। बिजनेस हब कहलाने वाले गाडा कोचा में हमारा दुकान एक होलसेल स्टोर था।
श्रीनगर वापस लौट चुके रौशन लाल ने बताया कि मैंने अपना बीता हुआ कल भुला दिया है और अब एक नए सिरे से अपने जीवन की शुरुआत करना चाहता हूं। मेरे घर और दुकान के पास रहने वाले मुस्लिम परिवार ने ना सिर्फ मेरा खुले दिल से स्वागत किया है बल्कि मुझे उन्होंने पगड़ी भी पहनाई। मेरे बेटे को भी उतना ही सम्मान मिल रहा है जितना दूसरों को।
रौशन के दो लड़का और एक लड़की है। एक बेटा बेंगलुरु में इंजीनियर है जबकि दूसरा बेटा संदीप कश्मीर में ही एक एनजीओ चलाता है जो कश्मीरी पंडितों के सकुशल वापसी के लिए काम करता है। संदीप ने कहा कि मैंने अपने पिता रौशन लाल से कहा कि वे वापस श्रीनगर लौट जाएं और अपना काम शुरू करें। मेरा मानना था कि जो काम मैं करना चाहता हूं उसकी शुरुआत मेरे घर से ही हो (चेरिटी बिगिन्स एट होम) तो बेहतर होगा।
मैं ऐसे ही 100 अन्य पंडित परिवारों को वापस लाना चाहता हूं। इसी इलाके के रहने वाले गैर पंडित नागरिक मुख्तार अहमद ने कहा कि हम सभी पंडितों से अपील करते हैं कि वे वापस श्रीनगर आकर बसें और अपना बिजनेस यहां शुरू करें। रौशन लाल ने भी अन्य पंडितों से अपील करते हुए कहा कि वे यहां वापस अपने घर लौट जाएं क्योंकि अब यहां कोई डर नहीं है। संदीप ने कहा कि मेरे पिता की वापसी के बाद अन्य कई कश्मीरी पंडित यहां आने के लिए तैयार होंगे।