अमृतसर।
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू यहां जोड़ा फाटक के पास हादसे में 62 लाेगों के मारे जाने के मामले में पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के बचाव में खुलकर सामने आ गए हैं। सिद्धू ने कहा कि रेलवे ट्रैक पर हुई मौतों के लिए रेलवे को जिम्मेदार है, मेरी पत्नी नहीं। उन्होंने कहा कि यह एक हादसा था, जो रेलवे की सतर्कता न होने की वजह से हुआ। उधर, शिरोमणि अकाली दल ने इस मामले में डाॅ. नवजोत कौर को भी दोषी ठहराया है और उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि डॉ. नवजोत कौर के खिलाफ काफी साक्ष्य हैं।
सिद्धू ने कहा कि यह वक्त बेवजह अंगुलियां उठाने का नहीं है, लेकिन फिर भी लोग सवाल पूछ रहे हैं। जिस ट्रेन की चपेट में लोग आए उसकी रफ्तार 100 किलोमीटर थी। ट्रेन पर टॉप लाइट नहीं थी। ट्रेन का जंगला ग्लास से बना है, तो क्या ड्राइवर ट्रैक पर खड़े लोगों को देख नहीं सकता था। नवजोत कौर सिद्धू जब मंच पर थीं, तब मंच से अनाउंसमेंट की गई कि लोग लाइनों पर खड़े न हों, ट्रेन आपको नहीं पूछेगी। मैं वर्षों से इस ट्रेन को देख रहा हूं। लोग इसे लड्डू वाली ट्रेन कहते हैं।
उन्होंने कहा कि लोग भागते-भागते इस ट्रेन पर चढ़ सकते हैं। रेलवे का केबिन मैन जब एक गाय को देखकर फाटक बंद कर देता है, तो फिर ट्रैक पर खड़े लोगों को देखने के बावजूद ट्रेन क्यों नहीं रोकी? रेल ट्रैक पर एक शख्स भी बैठा हो तो उस पर एफआइआर दर्ज की जाती है। धोबीघाट में पुतले सुबह से सजने शुरू हो गए थे। क्या गार्ड को मालूम नहीं था कि यहां दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है? सिद्धू ने कहा कि रेलवे ने ऐसा कौन सा आयोग बनाया जिसने चंद घंटों में ही रेलवे को क्लीन चिट दे दी।
पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू पर उठ रहे सवालों के जवाब में सिद्धू ने कहा कि वह जोड़ा फाटक के पास आयोजित दशहरा कार्यक्रम में चीफ गेस्ट बनकर गई थीं। चीफ गेस्ट कभी आयोजन की अनुमति की जानकारी नहीं मांगता। नवजोत कौर उस दिन छह कार्यक्रमों की चीफ गेस्ट थीं। रावण दहन का तीसरा कार्यक्रम संपन्न करवाकर वह चौथे कार्यक्रम के लिए जोड़ा फाटक ग्राउंड पहुंची थीं।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम साढ़े 6.30 बजे निर्धारित था और नवजोत कौर 6.40 पर मंच पर थी। जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि नवजोत कौर समय पर आतीं तो हादसा न होता, वे इसकी जांच कर सकते हैं। रावण दहन के बाद नवजोत कौर वहां से चली गईं। उन्हें पता चला कि हादसा हुआ तब उसने पुलिस कमिश्नर को फोन कर सत्यता जानी। पुलिस कमिश्नर ने हादसे की पुष्टि की और यह भी कहा कि वह अब वहां न जाएं, क्योंकि माहौल ठीक नहीं है। इसके बावजूद नवजोत कौर अस्पताल पहुंचीं और घायलों का इलाज किया।
सिद्धू ने कहा, उस समय मैं बेंगलुरु में था। रात तकरीबन एक बजे मैं अमृतसर आया तो वह अस्पताल से जा चुकी थीं। वहीं, पुलिस कमिश्नर सुधांशु श्रीवास्तव ने नवजोत कौर सिद्धू को वापस जाने से रोकने के बारे में कुछ भी कहने से इन्कार किया।
दूसरी ओर, श्ािरोमणि अकाली दल ने कहा है कि इस हादसे के लिए कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए। पार्टी की कोर कमेटी ने कहा कि जिस कार्यक्रम के दौरान यह भीषण हादसा हुआ उसमें डॉ. नवजोत कौर मुख्य अतिथि थीं। कोर कमेटी ने कहा कि डॉ. सिद्धू के खिलाफ काफी साक्ष्य मौजूद हैैं। चंडीगढ़ में अकाली दल के दफ्तर में हुई कमेटी की बैठक में सरकार द्वारा मामले की जांच डिवीजनल कमिश्नर से करवाने के फैसले को नकारते हुए जांच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाने की मांग की गई है। बैठक में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग को भी दोहराया गया।
अकाली दल के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और प्रधान सुखबीर बादल की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि मानव निर्मित घटना है। अत: आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। घटना की पूरी विश्व भर में निंदा हो रही है। कोर कमेटी ने कहा कि आयोजकों व नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ काफी साक्ष्य मौजूद हैं। इसके बाजवूद डिवीजनल कमिश्नर से जांच करवाने की बात करके सरकार ने मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की है।
कमेटी ने घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने व पीडि़तों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी की मांग की। कमेटी ने कहा कि पीडि़तों के बच्चों को अपनाने के लिए एक अलग सरकारी कार्यक्रम भी शुरू किया जाना चाहिए। कोर कमेटी ने कहा कि पीडि़तों के बयान के अनुसार केस दर्ज कर मामले की जांच करवानी चाहिए ताकि पीडि़तों को न्याय मिल सके। बैठक में एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जत्थेदार तोता सिंह, बलविंदर सिंह भुंदर, चरणजीत सिंह अटवाल, निर्मल सिंह काहलों, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा आदि उपस्थित थे।