महाराष्ट्र में 105 सीटों पर खेलकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सत्ता की पिच से आउट हो गए। राजनीति की बिसात पर एक भी चाल सफल नहीं हो पाई। पवेलियन में बैठे कोच 54 लोगों के सरदार शरद पवार ने रणनीति बनाई। 10 जनपथ में बैठी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पवार का सुझाव पसंद आया।
सोनिया ने पवार से खेलने को कहा और रणनीति का ऐसा तानाबाना बुना कि 57 पर खेल रहे उद्धव ठाकरे ने लॉन्ग ऑफ पर छक्का जड़ कर नॉट आउट रहे। राजनीति की यह नई पारी अब महाराष्ट्र में एक नई पटकथा लिखने के लिए तैयार हो गई है।
नहीं दिखाई कोई जल्दबाजी
शरद पवार मंझे हुए राजनीतिज्ञ माने जाते हैं। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों में शुमार थे। कहते हैं अच्छा रिश्ता आज भी है। उम्रदराज हो चुके पवार ने बड़ी खामोशी और पूरी संजीदगी से महाराष्ट्र में राजनीति की पटकथा तैयार की। यह पटकथा कर्नाटक से सबक लेते हुए राज्य में शिवसेना को मुख्यमंत्री पद पर बिठाने की थी। किंग मेकर पवार ने यह खाका तैयार करने के पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भरोसे में लिया। सोनिया गांधी को विश्वास में लेने के पहले उन्होंने सीधे उद्धव ठाकरे का मन टटोला। उद्धव ठाकरे से मजबूती से साथ पाने के बाद सोनिया गांधी से सत्ता के फाइनल राऊंड पर चर्चा की और इसके बाद शिवसेना को आगे बढ़ने का संकेत दे दिया।
बताते हैं कि इसमें शिवसेना के सामने केवल एक शर्त रखी। पवार की शर्त थी कि शिवसेना एनडीए से बाहर आए। भाजपा से नाता तोड़े। बताते हैं उद्धव ठाकरे से इसका भरोसा मिलने के बाद शरद पवार चुपचाप आगे बढ़ने की रणनीति बनाने लगे। खास बात यह रही कि पवार ने इस पूरे राजनीतिक आपरेशन में न तो संयम खोया और न ही कोई जल्दबाजी दिखाई। कोई पत्ता भी नहीं खोला। विधानसभा में विपक्ष में बैठने के जनादेश का हवाला देते रहे।
अमित शाह के फोन पर नहीं आए उद्धव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद भाजपा पहले शिवसेना की शर्तों को दबाव की राजनीति समझ रही थी। वजह थी 30 साल से भाजपा का साथ। शिवसेना का कहना था कि भाजपा 50-50 के तय फार्मूले को माने, जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इससे साफ इंकार कर दिया। सूत्र बताते हैं कि भाजपा को पहला झटका तब लगा, जब उद्धव ठाकरे भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के फोन पर नहीं आए। उद्धव ठाकरे ने निर्धारित बैठक टाल दी। भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल समेत अन्य को भरोसा था कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह के हस्तक्षेप के बाद बात बन जाएगी, लेकिन उद्धव ठाकरे ने इसका कोई अवसर नहीं दिया।
भाजपा की पिच पर खूब खेले शरद पवार
महाराष्ट्र में मराठा राजनीति के सरदार शरद पवार ने भाजपा की पिच पर जमकर खेला। 30 साल पुराने गठबंधन साथी शिवसेना को एनडीए की झोली से तोड़ लाए। एनसीपी के राजनेताओं का कहना है कि इसकी मूल वजह भाजपा के नेताओं का अहंकार रहा। बताते हैं कि यह पवार का ही प्रभाव रहा कि शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर विरोधी विचारधारा की कांग्रेस पार्टी के साथ जाना कुबूल कर लिया। अब मुंबई के ताज होटल में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच में सत्ता के स्वरुप को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा जारी है।
धरी रह गई भाजपा की पटकथा
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए तैयार भाजपा की पटकथा धरी की धरी रह गई। कोई दांव काम नहीं आया। कांग्रेस के महाराष्ट्र के नेता और एक पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि पिछले दो सप्ताह से भाजपा राज्य में सरकार बनाने के लिए छटपटा रही थी। उनके मुख्यमंत्री फडणवीस दावा कर रहे थे कि वही मुख्यमंत्री बनेंगे। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान भाजपा ने शिवसेना पर और शिवसेना ने भाजपा पर जमकर कीचड़ उछाला। अब इसका पटाक्षेप हो गया है और शिवसेना और एनसीपी आपस में सरकार बनाने पर बातचीत कर रहे हैं।