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अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बचत पर कैंची

सरकार ने मंगलवार को लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) समेत विभिन्न लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज की दरें घटा दी हैं. सीमित जोखिम होन के कारण ये बचत योजनाएं भारत में काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ऊंची दरों पर ब्याज दिया जाना संभव नहीं था. पिछले महीने आर्थिक मामलों के सचित अतनु चक्रवर्ती ने संकेत दिया था कि बाजार दर के अनुरूप अगली तिमाही के लिये लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर कम की जा सकती है ताकि मौद्रिक नीति दर का तेजी से लाभ ग्राहकों को मिल सके.

केंद्रीय बैंक की ओर से नीतिगत दरों (रेपो रेट) में .75 फीसदी की कटौती के बाद सभी बैंकों पर यह राहत ग्राहकों तक पहुंचाने का दवाब है. बैंक ये राहत तभी आगे पहुंचा सकते हैं जब उनकी पूंजी जो दरअसल आपकी और हमारी जमा है उस पर दिए जाने वाले रिटर्न को घटाया जा सके. इसे ऐसे समझें जो पैसा आपने एफडी,आरडी, बचत खाते या किसी भी रूप में बैंक के पास रखा है बैंक उसी पैसे का इस्तेमाल उद्योगों और आम जनता को कर्ज देने के लिए करते हैं. अब अगर बैंकों को जमा पर उच्च दर से ब्याज देना होगा तो वे कैसे सस्ता कर्ज बांट सकते हैं.

इसी कारण लंबे समय से बैंकों की यह मांग थी कि जमा पर ब्याज दरों को घटाया जाए. पाठकों के मन में यह सवाल आ सकता है कि बैंक की जमा पर छोटी बचत योजनाओँ से क्या संबंध? तो इसे ऐसे समझें बैंकों में विभिन्न प्रकार की जमाओं पर कितना ब्याज दिया जाए इसका संकेत दरअसल सरकारी की ओर से लघु बचत योजना पर दिए जाने वाले रिटर्न से ही तय होता है. क्योंकि यदि लघु बचत योजनाओं पर अधिक ब्याज मिलेगा तो निवेशक बैंक से अपनी जमा तोड़कर इस योजनाओं का रुख करेंगे. इसलिए सरकार ने इन छोटी बचत योजनाओँ पर दिए जाने वाले ब्याज में कटौती की, जिससे बैंक भी जमा पर ब्याज दरें घटा उद्योगों और व्यक्तिगत कर्ज लेनदार को सस्ता कर मुहैया करा सकें.

मौजूदा परिस्थितियों में सस्ता कर्ज मुहैया कराना इसलिए जरूरी है क्योंकि पहले से मंदी की मार झेलती अर्थव्यवस्था पर कोरोना का संकट आ पड़ा. ऐसे में सस्ता कर्ज एक तरफ उद्योगों को खड़ा होने में मदद करेगा और दूसरी तरफ आम जनता को नए घर और कार खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा.

लघु बचत पर ब्याज घटना निश्चित तौर पर उन लोगों के लिए झटका है जिनके लिए यही निवेश विकल्प भविष्य की योजनाओं या वर्तमान के खर्च का आधार हैं.
किस निवेश पर कितना घटा रिटर्न

•एक से तीन साल की मियादी जमा राशि पर ब्याज अब 5.5 प्रतिशत मिलेगा जो अबतक 6.9 प्रतिशत था। यानी इस पर ब्याज में 1.4 प्रतिशत की कटौती की गयी है। इन मियादी जमाओं पर ब्याज तिमाही आधार पर दी जाती है.

•पांच साल की मियादी जमा पर ब्याज कम कर 6.7 प्रतिशत किया गया है जो अबतक 7.7 प्रतिशत थी। इन जमाओं पर ब्याज हर तिमाही दिया जाता है.

•पांच साल की आवर्ती जमा (रेकरिंक) पर ब्याज में 1.4 प्रतिशत की कमी की गयी है। इस कटौती के बाद नई दर 5.8 प्रतिशत होगी.

•पांच साल के वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज 1.2 प्रतिशत कम कर 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है जो अबतक 8.6 प्रतिशत थी. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर भी ब्याज तिमाही आधार पर दिया जाता है.

•सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज 2020-21 की पहली तिमाही के लिये 7.6 प्रतिशत होगा जो अबतक 8.4 प्रतिशत था.

•लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) और राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) पर ब्याज दरों में क्रमश: 0.8 प्रतिशत और 1.1 प्रतिशत की कटौती की गयी है। इस कटौती के बाद 2020-21 की पहली तिमाही पीपीएफ पर ब्याज 7.1 प्रतिशत होगा जबकि एनएससी पर यह 6.8 प्रतिशत होगा.

•किसान विकास पत्र पर पर अब 6.9 प्रतिशत ब्याज मिलेगा जो अबतक 7.6 प्रतिशत था। नये ब्याज पर परिपक्वता अवधि 124 महीने हो गयी है जो पहले 113 महीने थी.

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