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कोरोना काल में दुग्ध पालकों के लिये अतिरिक्त आय बनी संबल प्रेमसिंह पटेल

कोरोना काल में जहाँ पूरे विश्व में आर्थिक संकट छा गया वहीं मध्यप्रदेश के किसानों को दूध विक्रय से अतिरिक्त आमदनी हुई। लॉकडाउन अवधि में राज्य दुग्ध संघ द्वारा 2 करोड़ 54 लाख लीटर अतिरिक्त दूध किसानों से खरीदा गया। दुग्ध उत्पादकों को इसके लिये 94 करोड़ रूपये की राशि का अतिरिक्त भुगतान किया गया। प्रदेश में 7 हजार 193 दुग्ध सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं। इनके माध्यम से वर्ष 2020-21 में करीब 9 लाख किलोलीटर दूध संकलित किया गया। दुग्ध उत्पादकों को उस समय बहुत राहत मिली जब निजी संयंत्रों द्वारा दुग्ध क्रय बंद कर दिया गया लेकिन राज्य शासन के दुग्ध संघों ने दूध का संकलन जारी रखा। दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों को इस वित्त वर्ष 2020-21 में 902 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया।

भारतीय संस्कृति में सदियों से पशुपालन ने अर्थ-व्यवस्था और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर भूमिहीन, छोटे किसानों और महिलाओं में पशुपालन आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है। कोरोना के बावजूद पशुपालन विभाग ने अपनी गतिविधियाँ जारी रखते हुए पशुपालकों की सुविधा का हरसंभव ध्यान रखा। आलोच्य अवधि में फरवरी तक प्रदेश में एक करोड़ 42 लाख से ज्यादा पशुओं का उपचार और करीब 4 करोड़ 52 पशुओं का टीकाकरण किया गया। इसी तरह लगभग 30 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान, 2 लाख से ज्यादा का प्राकृतिक गर्भाधान, प्राकृतिक गर्भाधान से साढ़े 4 लाख से ज्यादा वत्सोपादन एवं सवा 7 लाख से ज्यादा बधियाकरण किया गया।

गत वर्ष पशुधन संजीवनी योजना में कॉल सेंटर पर 3 लाख 21 हजार 776 कॉल मिले, जिसके विरूद्ध 2 लाख 51 हजार 880 पशुओं का उपचार किया गया। प्रदेश के सभी विकासखंडो में लागू इस योजना में टोल-फ्री नंबर 1962 पर कॉल करने पर चलित पशु चिकित्सा इकाई के माध्यम से पशुओं का उपचार किया जाता है।

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सभी गाय-भैंस वंशीय पशुओं को एफ.एम.डी. और ब्रुसेल्ला रोग का टीका लगाया जाता है। कार्यक्रम में लक्षित पशुओं को यूआईडी टैग लगाया जा रहा है। पहले चरण में ढाई करोड़ से ज्यादा गाय-भैंस वंशीय पशुओं को एफ.एम.डी. का टीका लगाया गया है। प्रदेश में कार्यक्रम का पहला चरण पूरा हो गया है।

राज्य शासन द्वारा बेसहारा गौ-वंश के संरक्षण के लिये 1004 गौ-शालाएँ स्वीकृत की गईं थीं। इनमें से 963 गौ-शालाएँ पूर्ण होकर 905 गौ-शालाओं का संचालन प्रारंभ हो चुका है। इसके अलावा इस वित्त वर्ष में स्वीकृत 2365 गौ-शालाओं में से 1808 गौ-शालाएँ निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में साढ़े 8 लाख से ज्यादा निराश्रित गौ-वंश हैं। अशासकीय संस्थाओं द्वारा 627 गौ-शालाओं में एक लाख 66 हजार निराश्रित गौ-वंश का पालन किया जा रहा है।

आगर-मालवा जिले की सुसनेर तहसील के गाँव सालरिया में 462.63 हेक्टेयर क्षेत्र में गौ-अभयारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र स्थापित है। केन्द्र में लगभग 4 हजार 900 वृद्ध, बेसहारा और बीमार गौ-वंश की सेवा की जा रही है। अभयारण्य में गौ-काष्ठ, वर्मी कम्पोस्ट खाद, गौ-मूत्र फिनायल आदि भी बनाया जा रहा है।

हितग्राही मूलक योजनाओं में 514 मुर्रा सांड, 119 गौ-सांड, 6827 कुक्कुट इकाई, 2950 कड़कनाथ के लिये अनुदान राशि दी गई। आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना में अब तक 6800 हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा चुका है। इस वर्ष प्रदेश में 23 हजार 794 अंडा उत्पादन हुआ। प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 543 ग्राम प्रतिदिन रही, जो राष्ट्रीय औसत 352 ग्राम से अधिक है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन में पशु प्रजनन प्रक्षेत्र रतौना (सागर) में गोकुल ग्राम की स्थापना की गई, जिसका लोकार्पण 30 दिसंबर 2020 को किया गया। संस्थान में थारपारकर, साहीवाल आदि देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और संवर्धन किया जायेगा। मिशन में मैत्री की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश में 5 वर्षों में 12 हजार 149 भौतिक और 98.40 करोड़ का वित्तीय लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2020-21 में 1100 मैत्री के प्रशिक्षण के लिये 8 करोड़ 90 लाख रूपये की राशि विमुक्त की गई।

भोपाल के केन्द्रीय वीर्य संस्थान में सेक्स सॉरटेड सीमन उत्पादन प्रयोगशाला के लिये 47.50 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की गई। यह देश की तीसरी प्रयोगशाला है। यहाँ साहीवाल, गिर, थारपारकर गाय और मुर्रा जाफराबादी आदि भैंस नस्लों से 90 प्रतिशत बछिया और सीमित मात्रा में बछड़ों का उत्पादन किया जायेगा। इससे उन्नत किस्म की दुधारू गाय, भैंस अधिक मात्रा में मिलेंगी।

दुग्ध उत्पादक किसानों को अच्छी आमदनी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भी अनेक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। सेंधवा में साढ़े 4 करोड़ की लागत से 40 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता का नवीन दुग्ध संयंत्र स्थापित किया गया है। इंदौर में 4 करोड़ की लागत से आइस्क्रीम संयंत्र तथा बटर चिपलेट मशीन, खंडवा में 25 हजार लीटर, सागर में एक लाख लीटर क्षमता के दुग्ध संयंत्रों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। जबलपुर में लगभग 10 करोड़ की लागत से 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के ऑटोमेटिक पनीर निर्माण संयंत्र का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चुका है। वहीं दूध और दुग्ध उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये भोपाल में अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।

पहली बार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से डेयरी संयंत्रों के लिये उपयुक्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ तक्नीशियन का नया ट्रेड शुरू किया गया है। कोरोना काल में उपयोगिता के मद्देनजर गोल्डन मिल्क (हल्दी दूध) भी शुरू किया गया। प्रदेश में स्मार्ट सिटी की अवधारणा के अनुरूप मिल्क पार्लर को नये तरीके से डिजाइन किया गया है।

(लेखक प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विकास, सामजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री हैं)

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