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रोहतक लोकसभा: ताऊ देवीलाल ने जीतने के बाद छोड़ दी थी ये सीट, फिर 3 बार झेलनी पड़ी हार

लगातार दस सालों तक प्रदेश की सत्ता रोहतक में रही है और इस कार्यकाल में रोहतक को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहा जाने लगा था. रोहतक जिला पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता रहा है. रोहतक की ख़ासियत है कि जो दिल से उतर गया, वो बस उतर गया. रोहतक की राजनीति काफी दिलचस्प रही है.

ताऊ देवीलाल 1989 में राजस्थान की सीकर, हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. वे सीकर और रोहतक दोनों सीटों से सांसद चुने गये. इसके बाद ताऊ देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने. चूंकि चौधरी देवीलाल को दो सीटों में से एक सीट छोड़नी थी और उऩ्होंने रोहतक की सीट छोड़ने का फैसला किया. शायद ये चौधऱी देवीलाल के राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी भूल थी.

इससे बाद रोहतक की जनता उनसे ऐसी खफा हुई कि ताऊ को लगातार तीन बार रोहतक से चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. फिर लगातार तीन बार चौधरी देवीलाल को शिकस्त देने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ बन गया. लेकिन जब वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे तो जनता ने उऩ्हें भी हार का स्वाद चखाया.

1999 के लोकसभा चुनाव में कैप्टन इंद्र सिंह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को डेढ़ लाख वोटों से शिकस्त दी. हालांकि साल 2004 में रोहतक में चौधऱ का नारा देकर वो फिर यहां से सांसद बन गये. दरअसल उन दिनों कांग्रेस में चौधरी भजनलाल का दबदबा था और हुड्डा उनके धुर विरोधी थे. हुड्डा चुनावी रैलियों में खुद की दावेदारी भी जताते थे.

हुड्डा बोलते थे कि वे चंडीगढ जाएंगे लेकिन वाया दिल्ली होकर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला औऱ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा की कमान सौंपी गई. इसके बाद साल 2005 में रोहतक लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने जीत हासिल की. साल 2009 में भी इस लोकसभा क्षेत्र में दीपेंद्र हुड्डा का ही कब्जा रहा. यहां तक कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी. उस दौरान भी दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी सीट बचाने में कामयाब हो गये.

रोहतक हरियाणा का एक अहम जिला है जो राजनीतिक लिहाज से काफी मायने रखता है. रोहतक देश की राजधानी दिल्ली से दिल्ली से 66 किमी दूरी पर स्थित है. रोहतक कृषि प्रधान जिला है. ऐसा माना जाता है कि पहले रोहतासगढ़ कहलाने वाले रोहतक की स्थापना एक पंवार राजपूत राजा रोहतास ने की थी. यहां 1140 में निर्मित दीनी मस्जिद है. पास के खोकरा कोट टीले की खुदाई से बौद्ध मूर्तियों के अवशेष मिले भी हैं.

रोहतक अनाज और कपास का प्रमुख बाज़ार है. यहां की औद्योगिक गतिविधियों में खाद्य उत्पाद, कपास की ओटाई, चीनी और बिजली के करघे पर बुनाई का काम होता है. रोहतक में कई शिक्षण संस्थाने हैं जिसमें महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय काफी अहम है. रोहतक में कुल 16,37,000 वोटर्स हैं.

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