नई दिल्ली:
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गुरुवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में संयुक्त रूप से लंबित मुकदमे को खत्म करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया. गौरतलब है कि बीजेपी ने मई 2013 को राम जेठमलानी को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद जेठमलानी ने बीजेपी संसदीय बोर्ड के फैसले के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दायर की थी. अपनी अर्जी में जेठमलानी ने मांग की थी कि उनका पार्टी से निष्कासन फौरन रद्द किया जाए. साथ ही जेठमलानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों से 50-50 लाख रुपये का हर्जाना भी मांगा था.
11 सदस्यीय बोर्ड में 9 को बनाया था प्रतिवादी
बता दें कि वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी द्वारा दाखिल याचिका में जेठमलानी ने 11 सदस्यीय बोर्ड के 9 सदस्यों को प्रतिवादी बनाते हुए हर एक से 50 लाख मुआवजे की भी मांग की थी. जेठमलानी ने कहा था कि उनका निष्कासन संविधान के खिलाफ है और ये उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा किया गया है. जेठमलानी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता था और कहा जाता था कि बीजेपी की तरफ से राज्यसभा की सीट उन्हें पीएम मोदी के कहने पर ही मिली थी.
अनुशासनहीनता के आरोप में किया गया था निष्कासित
राज्य सभा सांसद और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी अनुशासनहीनता के मसले पर मई 2013 में बीजेपी से निकाले गए थे. मई 2013 में बीजेपी संसदीय बोर्ड ने जेठमलानी को छह साल के लिए बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था. उन पर पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा में नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के खिलाफ बयानबाजी का आरोप था.