नई दिल्ली
राफेल डील में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। बुधवार को फ्रांस मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि दसॉ एविएशन के पास रिलायंस डिफेंस से समझौता करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दसॉ के आंतरिक डॉक्युमेंट इस बात की पुष्टि करते हैं।
59 हजार करोड़ रुपये के 36 राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में रिलायंस दसॉ की मुख्य ऑफसेट पार्टनर है। फ्रांस की इंवेस्टिगेटिव वेबसाइट मीडियापार्ट के अनुसार उनके पास मौजूद दसॉ के डॉक्युमेंट में इस बात की पुष्टि होती है कि उसके पास रिलायंस को पार्टनर चुनने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। बता दें कि मीडियापार्ट ने ही पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के भी उस दावे को प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानीकी रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दसॉ एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था।
मीडियापार्ट के दावे के अनुसार रिलायंस डिफेंस के साथ समझौता करके 36 फाइटर जेट्स का कॉन्ट्रैक्ट पाया गया। हालांकि पिछले महीने फ्रांस सरकार और दसॉ ने ओलांद के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी ओलांद के दावे को विवादास्पद और गैरजरूरी बताया था। मंत्रालय ने साफ किया था कि भारत ने ऐसे किसी कंपनी का नाम नहीं सुझाया था। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार समझौते में शामिल फ्रेंच कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का 50 फीसदी भारत को ऑफसेट या रीइंवेस्टमेंट के तौर पर देना था।
ओलांद की यह बात सरकार के दावे को खारिज करती है जिसमें कहा गया था कि दसॉ और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए बयान वाली रिपोर्ट की पुष्टि की जा रही है। ‘यह फिर से दोहराया जाता है कि इस समझौतै में न तो भारत सरकार और न ही फ्रांस सरकार की कोई भूमिका थी।’