– राव अजय सिंह ने भी ठोकी ताल पार्टी से निष्ठावान कार्यकर्ता को प्रत्याशी
– नहीं तो हर विकल्प पर होगा विचार, मतदाता से जीवंत सम्पर्क गांव गांव प्रचार प्रारंभ
आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी। जैसे जैसे उपचुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है वैसे वैसे मुंगावली उपचुनाव विधानसभा के लिए नए-नए प्रत्याशियों के नाम उभर कर सामने आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के जादू का असर था कि चंबल ग्वालियर संभाग की अधिकांश सीटें कांग्रेस की तरफ गई थी। यह सब जब सिंधिया जी को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर का परिणाम था कि ग्वालियर चंबल संभाग कांग्रेसी हो गया था।
परंतु जब सिंधिया जी कांग्रेश छोड़कर भाजपा की गोद में आकर बैठ गए जिनके साथ सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने भा ज पा जॉइन कर ली अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर सिंधिया जी में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए पुनः उपचुनाव में जाने का फैसला इन विधायकों ने भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ने का लिया, और जल्द ही उपचुनाव की तिथि घोषित होने वाली है। और जहां तक संभव है भाजपा से इन भाई सिंधिया समर्थकों को टिकट मिलने की संभावना है।
जिससे इन परिस्थितियों में भाजपा में हमारे जिले की मुंगावली विधानसभा में प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता भी अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं और अपना दावा भी मजबूत बता रहे हैं।
आंकलन के हिसाब से अजीब समीकरण
जब से मुगावली विधानसभा सीट बनी है यहां पर राव देशराज सिंह ही काबिज रहे महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने आकर उनका गढ़ भेदा था,जब से ही चाहे उपचुनाव या मुख्य चुनाव हो कांग्रेस का ही कब्जा रहा है।
महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के निधन के पश्चात इस सीट पर कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव ने जीत हासिल की उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी बाई साहब को पराजित किया था इसके बाद 1 साल बाद ही विधानसभा के मुख्य चुनाव में कांग्रेसी प्रत्याशी विजेंदर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद डॉक्टर के पी यादव को विधानसभा में पराजित किया।
अब ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस विधानसभा में कांग्रेस की जीत हुई या सिंधिया जी के प्रभाव की जीत हुई जिसमें बृजेंद्र सिंह ने ही पूर्व कांग्रेसी डॉक्टर के पी यादव को पराजित किया। अब विडंबना देखिए कि लोकसभा के चुनाव में इसी विधानसभा में हारे हुए प्रत्याशी डॉक्टर के पी यादव ने लोकसभा चुनाव में इसी विधानसभा मैं इन्हीं सिंधिया जी को 10,000 से अधिक मतों से पछाड़ दिया।
आज वही सिंधिया जी इस मुगावली में इसी प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह यादव के साथ भाजपा के साथ खड़े हैं। आज जब मुंगावली विधानसभा के मतदाताओं से पूछा जाता है तो सबके अलग-अलग विचार होते हैं मगर ज्यादातर बुद्धिजीवी मतदाताओं का कहना रहता है की हमारे मत का अपमान हुआ है, बेंगलुरु मैं बैठकर डीलिंग हो गई वह कौन होते हैं कांग्रेश और भाजपा में जाने वाले हमने अपना मत देकर इन्हें बनाया और इन्होंने अपने मनसे फैसला लेकर हमारा अपमान किया इन्हें हम कभी माफ नहीं करेंगे। और सिंधिया जी स्वयं जब यहां से पिछड़ गए तो वह क्या किला लड़ायेंगे।
वैसे देखा जाए तो यहां कांग्रेस का गढ़ भी मजबूत रहा है
महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने जो नींव रखी थी उसको यहां के कांग्रेश और जनता कांग्रेसी बनाए हुए हैं अब देखना है कि इस चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है।
सिंधिया जी को अपने किले में घेरा
राज्यसभा सांसद सिंधिया जी जब ग्वालियर अपने घर भाजपा सदस्यता अभियान में आएं तो जिस तरह कांग्रेस ने सिंधिया जी को अपने ही क़िले में उनको घेर कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। सिंधिया जी को सोचने पर मजबूर जरूर कर दिया है। कुछ इसी तरह विरोध की आवाज होने वाले विधानसभा उपचुनाव के क्षेत्र से आ रही है। जिससे अभी तक सिंधिया जी का दौरा उज्जैन महाकाल के पास के बाद कहीं नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय पर जरुर पहुंचे जहां उन्हें देश सेवा करने की प्ररेणा मिली। पर वहां से भी एक विवाद सिंधिया जी अपने साथ ले आएं। नागपुर में ही बाबा साहेब अम्बेडकर का गृह स्थान है। वहां नहीं जाकर सिंधिया जी ने एक विवाद को जन्म देकर दलित समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया।
एक अकेला सब पर भारी
वैसे प्राय यह तो लगभग निश्चित है कि डीलिंग के अनुसार भा जा पा से बृजेंद्र सिंह यादव उम्मीदवार ही होंगे, और कांग्रेश के प्रत्याशी चयन की बागडोर जिले के एकमात्र विधायक गोपाल सिंह चौहान के ही हाथ में रहेगी जिले की दोनों सीटें मुंगावली अशोकनगर उनकी ही पसंद का उम्मीदवार बनाया जाएगा और विधायक गोपाल सिंह चौहान यह काबिलियत भी रखते हैं कि वह दोनों सीटें प्रभावित कर सकते हैं।
जिससे निश्चित ही विधायक गोपाल सिंह चौहान की भूमिका बहुत ही उल्लेखनीय रहने वाली है विधायक गोपाल सिंह जिले में तो एक अकेला सब पर भारी है।
दावेदारी भी खुलकर सामने आने लगी
दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों से दावेदारी भी जताई जा रही है जिसमें भाजपा से बृजेंद्र सिंह यादव का नाम लगभग तय है किंतु फिर भी निष्ठावान कार्यकर्ताओं को यह रास नहीं आ रहा है कि जमीनी और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर आज भाजपा दल बदल कर आए लोगों के साथ हो गई है इसलिए जमीनी कार्यकर्ता और निष्ठावान कार्यकर्ताओं भी अपनी उम्मीदवारी मजबूती के साथ अपनी भारतीय जनता पार्टी से कर रहे हैं।
जब राव अजय प्रताप सिंह यादव से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बड़े वेबाक अंदाज में अपनी बात रखी और पार्टी भाजपा के लिए अपनी उम्मीदवारी जताई।
राव अजय सिंह का कहना है कि
हमारी पहली प्राथमिकता भा ज पा है और हम भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांग रहे हैं जो कि हमारा हक है और हक बनता भी है हमारे पिता श्री राव देशराज सिंह जी 1990 से भाजपा को बनाया है हमारे पिताजी के बाद हम लोग भी पार्टी के समर्थित कार्यकर्ता की तरह काम भी कर रहे हैं और हमारे वरिष्ठ भा ज पा पदाधिकारियों से कहना है कि अशोकनगर जिले में सभी भाजपा प्रत्याशी कांग्रेसी आए हुए हैं चाहे सांसद डॉक्टर के पी यादव हो विधायक जज्जी हो भूपेंद्र द्विवेदी हो विजेंद्र सिंह हो या स्वयं सिंधिया जी हो। कांग्रेस से भाजपा पर आकर जम रहे हैं ,हम जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की यदि भाजपा अनदेखी करती है तो इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। यहां भा ज पा तो कम बची है कांग्रेश ज्यादा हो गई। भाजपा में कन्वर्ट कांग्रेश हो गई।
पहली प्राथमिकता हमारी भाजपा से ही टिकट मांग रहे हैं ,यदि नहीं सुनी जाती है तो हम अन्य विकल्प तलाश करेंगे, और अन्य दल से भी संपर्क भी करेंगे
– राव अजय प्रताप सिंह यादव
अन्य प्रत्याशी भी सोशल मीडिया में सक्रिय
राव अजय सिंह की दावेदारी के साथ कांग्रेश से अन्य दावेदार भी अपनी दावेदारी सोशल मीडिया के माध्यम से जता रहे हैं जिनमें गणेश सोनी और प्रदुमन सिंह दांगी, कन्हैया राम लोधी जब सिंधिया जी ने कांग्रेस छोड़ी थी तब जिला अध्यक्ष कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले जिले के पहले सिंधिया समर्थक होने का प्रमाण दिया था पर दो महीने में ही सिंधिया जी से मोहभंग हो गया या कांग्रेस ने आश्वासन दे दिया जिससे कन्ई राम वापस कांग्रेस में आ गए, का नाम सोशल मीडिया में चल रहा है और एक नाम सोशल मीडिया में चौंकाने वाला आया है चंदेरी विधायक गोपाल सिंह चौहान के सुपुत्र विजय प्रताप सिंह चौहान मनु राजा जो सोशल मीडिया में मुगावली विधानसभा के लिए उनके मुंगावली विधानसभा के प्रत्याशी बनाने के लिए चलाया जा रहा है कि और विधायक गोपाल सिंह चौहान से मांग की जा रही है कि मनु राजा के राजनीतिक पारी की शुरुआत हमारी विधानसभा मुगावली से कराई जाए।
अब देखना है कोन कौन किस पर भारी, अभी तो जिले में एक अकेला सब पर भारी
हालांकि अभी तक विधायक जी का और उनके सुपुत्र विजय प्रताप सिंह चौहान ने अपने बारे में कुछ भी कहने से बचते रहे उनका कहना है था कि मेरे विधानसभा मुंगावली के सोशल मीडिया के दोस्त मांग कर रहे हैं। मैं उनकी भावनाओं की कद्र करता हूं।
अशोकनगर जिले से गिनती के कांग्रेसी ही सिंधिया के साथ खड़े नजर आएं
जिला अशोकनगर में देखा जाये तो सिंधिया जी के कांग्रेस छोड़ने पर दोनों विधायक जजपाल सिंह जज्जी ओर विजेंद्र सिंह यादव के साथ जिनकी राजनीति सिंधिया जी से चलती थी वह ही गिनती के लोग ही कांग्रेस छोड़ कर गए। और यह वही लोग हैं जिनका योगदान लोकसभा चुनाव में सिंधिया जी को हरवाने में ज्यादा रहा आज वही लोग गिनती के सिंधिया भक्त फिर उनके साथ खड़े हैं।
बात कि जाये चंदेरी विधानसभा की तो चंदेरी नगरपालिका में कांग्रेस शासित परिषद थी नगर के विकास को देखते हुए यहां सिंधिया जी ग्यारह वार्डों से पिछड़े थे। जहां अध्यक्षा स्वयं निवास करती है वह वार्ड भी सिंधिया जी पिछड़ गए थे। एक ओर चंदेरी के सिंधिया समर्थक जिनका चंदेरी ओर समाज में भी अस्तित्व रखतें हैं मगर जब कांग्रेस छोड़ने की बात आई तो वह अकेले ही सिंधिया के साथ खड़े नजर आये समाज के किसी ओर को कांग्रेस से अलग नहीं कर पाए।यह भी अपने वार्ड से सिंधिया जी को हताश करके फिर सिंधिया जी के साथ खड़े हैं।
पद से कद बढ़ा
विजेंद्र सिंह यादव को वगैर चुनाव के मंत्री बनाया गया है जिनका उपचुनाव आगामी तिथि में होना है।राज्य सरकार ने सिंधिया जी के साथ पार्टी छोड़ने पर 22 पूर्व विधायकों को मंत्री पद देकर एक बड़ा दांव भारतीय जनता पार्टी ने खेला है। निश्चित रूप से विजेंद्र सिंह को पद मिलने से कद ज़रूर बढ़ गया है।अब एक मंत्री और एक निष्ठावान कांग्रेसी विचारधारा,गांधीवादी विचारधारा से भाजपा विचारधारा का चुनाव होना है इसमें अब दल-बदल कर आये भाजपा का कांग्रेसी करण करने वाले पूर्व कांग्रेसियों को किस तरह समायोजन किया जायेगा कैसे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता अपनी पटरी केसे बिठाते हैं। यह विचारणीय होगा।
जो अवसर भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता को मिलना चाहिए था वह हक एक दिन पहले आए ये सिंधिया समर्थक जरूर इस चुनाव में तो छीन ही रहें हैं और आने वाले चुनाव में भी हक़ जताये जायेंगे।यह समायोजन करना इस उप चुनाव का नतीजा बतायेगा।
इस उपचुनाव के चक्रव्यूह में सिंधिया जी के साथ फिर क्या गारंटी है कि आने वाले समय में भाजपा में ही रहेंगे या फिर कही रिटर्न का टेग लगाकर किसी ओर के साथ हो जाये इसलिए मतदाता का तीन साल में तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ाने वाले विजेंद्र सिंह को पार्टी के अंदर ओर बाहर मतदाता का आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।दल-बदल कर आये पूर्व विधायक का केरियर भी दांव पर लगा हुआ है। अब भाजपा का कार्यकर्ता उलझन में जरूर होगा कि अभी उपचुनाव में इन्हें जिताया तो भविष्य में होने वाले चुनाव में भी यह तैयार है। भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता को यह मौका मिलना चाहिए जो यह बंगलौर रिटर्न को जा रहा है।अब देखना होगा कोन यह उपचुनाव का चक्रव्यूह भेद कर अभिमन्यु बनता है।
सियासी पार्टियां नहीं कर रही पालन
जहां राजनैतिक दलों पर चाहें पक्ष हो या विपक्ष सरकार द्वारा बनाई कोविड 19 के गाइडलाइन का पालन करना तो दूर की बात बड़े बड़े राजनैतिक आयोजन हो रहें हैं। धार्मिक आयोजन पर रोक लगा कर प्रशासन धार्मिक आयोजन का अधिकार छीन रही हैं।