– कांग्रेस का ध्येय केवल सत्ता और पैसा, आम लोगों की तकलीफों से कोई मतलब नहीं
– राहुल कुछ भी कहें अबकी बार मप्र में नहीं फैलेगा उनका मायाजाल
आम सभा, भोपाल। राहुल गांधी अब चाहे कितना ही ढिंढोरा पीट लें, मप्र में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी। पहले भी वे झूठ का ताना-बाना बुनकर मप्र में सत्ता में तो आ गए, लेकिन इस दौरान दिए 973 वचनों में से एक को भी पूरा नहीं कर सके। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डा. दुर्गेश केसवानी ने राहुल गांधी के उस बयान का खंडन करते हुए कही, जिसमें राहुल ने मप्र में फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा किया। डा. केसवानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के राज में न तो किसानों की कर्ज माफी हुई। न युवाओं को बेरोजगारी भत्ता मिला। सरकार केवल आईफा व आईटा अवार्ड, गांजे की खेती करने और प्रदेश को लूटने में व्यस्त हो गई। वल्लभ भवन को दलाली का अड्डा बना लिया गया था। ऐसे में न तो कांग्रेस अपनी सराकर मप्र में बना पाएगी और न ही राहुल का मायाजाल मप्र में चलेगा।
सत्ता का सुख भोगना कांग्रेस की पहली प्राथमिकता : डा. केसवानी ने कहा कि कांग्रेस का ध्येय केवल सत्ता और पैसा है। आम लोगों की तकलीफ से कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल और केवल आम आदमी को ठगने का काम कर रही है। आम आदमी की समस्याओं का समाधान करवाने में पार्टी का कोई मतलब न तो पहले था और न ही वर्तमान में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी किसी भी राज्य के विकास में रुचि नहीं दिखाई। केवल सत्ता हासिल कर सुख भोगना ही कांग्रेस के लोगों की पहली प्राथमिकता है।
भारत जोड़ो यात्रा केवल जुमला, कांग्रेस ने टुकड़े किए अखंड भारत के : इस दौरान भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, कांग्रेस छोड़ो यात्रा में बदल चुकी है। अखंड भारत के टुकड़े करने वाली ही कांग्रेस है। देश का विभाजन का दंश देने वाली पार्टी को आज भारत की चिंता हुई है। डॉ. केसवानी ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित होने की ओर अग्रसर हो गया है। देश में फूट डालने का काम कांग्रेस ने किया है। आज देश के सब लोग एक हो गए हैं और देश का विभाजन चाहने वाले अलग थलग हो गए हैं। राहुल गांधी इस यात्रा के माध्यम से विभाजन कारी ताकतों को मजबूत करना चाहते हैं। लेकिन भाजपा की राष्ट्रवादी सरकार उनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देगी।