ऑनलाइन गेम्स, कंप्यूटर और टीवी के इस युग में बच्चे घर से बाहर निकलकर आस पड़ोस के बच्चों के साथ खेलना ही भूल गए हैं। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों को घर से स्कूल भेजने वाले पैरंट्स सोचते हैं कि बच्चों को संगठित खेलों और शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त कर वे उन्हें फिट रख रहे हैं लेकिन युवाओं को इसकी और ज्यादा जरूरत होती है। राइस यूनिवर्सिटी की लॉरा कबीरी सहित शोधकर्ताओं ने कहा कि समस्या इस बात को जानने को लेकर है कि आखिर कितनी सक्रियता संगठित जीवनशैली के लिए जरूरी है।
बच्चों का शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना है जरूरी
शोधकर्ताओं का कहना है कि अभिभावकों को अपने बच्चों को प्रतिदिन शारीरिक गतिविधियों के लिए और ज्यादा समय देना चाहिए। कबीरी ने कहा कि अभिभावक जानते हैं कि अगर वे अपने बच्चों को तेज सांस लेते हुए और पसीना छोड़ते हुए नहीं देखेंगे तो इसका मतलब वे पर्याप्त परिश्रम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों से अपील है कि वे बच्चों को घर से बाहर लाएं और उन्हें दौडऩे दें, पड़ोसी बच्चों के साथ खेलने दें और उन्हें साइकल चलाने दें।
1 घंटी की ऐरोबिक गतिविधि जरूर करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार बच्चों को एक दिन में मुख्य रूप से एक घंटे की ऐरोबिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। लेकिन अन्य शोधों में पाया गया कि गैर-कुलीन स्पोर्ट्स में शामिल बच्चों को सिर्फ 20-30 मिनट में ही पर्याप्त परिश्रम कर लिया था। जर्नल ऑफ फंक्शनल मोर्फोलजी एंड किनेसिओलजी में प्रकाशित अध्ययन के लिए घर में पढ़ाई करने वाले 10-17 साल के 100 बच्चों को शामिल किया गया।
घर से बाहर निकलने के लाभ
– बच्चे तरोताजा रहते हैं
– खेल के दौरान शरीर से अतिरिक्त कैलरी खर्च होती है।
– साइकल चलाने, तैराकी से लेकर दौडऩा तक अच्छा व्यायाम है। इससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर ठीक रहता है।
अच्छी नींद आती है
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद भी जरूरी है। खेलों में व्यक्ति थक जाता है और थकान होने पर नींद अच्छी आती है। इसलिए खेलों में खुद को थकाने से बेहतर नींद आती है।
बढ़ती है जागरूकता
जब बच्चे घर से बाहर खेलने जाते हैं तो अपने आस-पास के पर्यावरण और माहौल की जानकारी पाते हैं। इससे उनमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है।