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गर्भस्थ बालकों के लिए अभिशाप बनता प्लास्टिक – मुकेश तिवारी

आम सभा, ग्वालियर : सौंदर्य प्रसाधनों खिलौनों चिपकने वाली पनियों मेडिकल उपकरणों और यहां तक की सामान्य उपयोग के थैलों में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक गर्भस्थ शिशुओं  के लिए अभिशाप बन सकता है  प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले सामान्य रसायन गर्भ में पल रहे बालकों के लैंगिक विकास में भारी दुष्प्रभाव डालते हैं इस नई खोजने अमेरिका और यूरोप में पहले से ही बंदिशों की मार झेल रहे प्लास्टिक उद्योग के लिए खतरे की घंटी बजा दी है हालांकि यह धारणा नई नहीं है की प्लास्टिक निर्माण में इस्तेमाल होने वाले थेलेट समूह के रसायन नर जंतुओं के लैंगिक विकास में विपरीत प्रभाव छोड़ते हैं मां के गर्भ में रसायनों के संपर्क में आने वाले नर शिशुओं की वयस्क होने पर वीर्य गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता में गिरावट पहले  भी सिद्ध की जा चुकी है सूत्र बताते हैं कि थेलेट की सामान्य मात्रा जो आमतौर पर सर्वत्र पाई जाती है नर  शिशुओं के जननांगों के विकास को बाधित करती है शोधकर्ताओं ने थेलेट समूह के सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले 9 रसायनों की गर्भवती महिलाओं के पेशाब में जांच की उन्होंने उनके गर्भस्थ शिशुओं की शारीरिक माप-जोख  भी की परिणामों से साबित हुआ की जिन महिलाओं में चुनिंदा 4 थे लेट रसायनों की मात्रा सर्वाधिक पाई गई उनके गर्भ में पल रहे बालक शिशुओं के जननांग विकार ग्रस्त थे.

इन दोषों में जननांग व अंडकोष के ठीक से विकसित नहीं होने के अलावा पेरिनियम जननांग व गुदाद्वार के मध्य की दूरी की लंबाई भी काफी कम थी वैज्ञानिकों के अनुसार इन बालकों में स्त्रियों चित लक्षण प्रकट होने लगे थे जानवरों पर हुए अध्ययन से यह अवधारणा पहले ही साबित की जा चुकी है अध्ययन के मुखिया डॉ दिलीप शर्मा बताते हैं कि गर्भावस्था में इन रसायनों के संपर्क में हाय बालकों के वयस्क होने पर पुरुषों चित्रों गुणों में असर दिखाई पड़ता है और उनके जुझारू पर पितृत्व सीखने की क्षमता में गिरावट देखी गई है डॉक्टर शर्मा के अनुसार प्लास्टिक रसायनों का मनुष्यों पर ऐसा असर साबित होना बेहद चिंताजनक है यह रसायन इतने हम हैं कि लगभग हर तरह की प्लास्टिक सामग्री में इस्तेमाल किए जाते हैं इससे निजात पाना सिर्फ प्लास्टिक उद्योग जगत के लिए ही नहीं बल्कि समाज के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है.

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