नई दिल्ली
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को भारत के साथ बातचीत करने की अपनी इच्छा दोहराते हुए कहा कि दोनों पक्षों को साथ बैठकर कश्मीर, पानी और आतंकवाद सहित सभी मुद्दों का समाधान करना चाहिए। शरीफ ने यह टिप्पणी अजरबैजान के लाचिन में पाकिस्तान-तुर्किए-अजरबैजान त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए की, जिसमें राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और इल्हाम अलीयेव भी शामिल हुए।
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत पर जोर देने का शहबाज का यह इस सप्ताह दूसरा बयान था। शरीफ ने तेहरान में सोमवार को कहा था कि वह ‘सभी विवादों को हल करने के लिए’ भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा।
‘डॉन’ अखबार ने लाचिन में त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में शरीफ के हवाले से कहा, 'हमें शांति के लिए साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए… ऐसे मुद्दे हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और उन्हें बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'मैंने पूरी विनम्रता से कहा है कि हम क्षेत्र में शांति चाहते हैं। और इसके लिए उन मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए जिन पर तत्काल ध्यान देने और सौहार्दपूर्ण समाधान की आवश्यकता है, यह मुद्दा है कश्मीर का जो संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार और कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार है।'
उन्होंने कहा, 'मैंने पूरी गंभीरता से कहा है कि यदि भारत आतंकवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से ईमानदारी से बात करना चाहता है, तो पाकिस्तान इस मुद्दे पर भी भारत से बात करने को तैयार है।'
शरीफ ने भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने की इच्छा भी व्यक्त की। उन्होंने सिंधु जल संधि को स्थगित रखने के भारत के फैसले की भी आलोचना की और कहा कि यह पाकिस्तान के लोगों के लिए उनके कृषि उपयोग, पीने के पानी और कई अन्य उद्देश्यों के लिए जीवन रेखा है।
गत 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।
भारत ने छह मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सटीक हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया। 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की सहमति बनी।