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बाल कल्याण एवम बाल साहित्य शोध केंद्र द्वारा बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन

आम सभा, भोपाल। बाल कल्याण एवम बाल साहित्य शोध केंद्र, भोपाल द्वारा एक बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का विषय “बच्चों से दुष्कर्म समस्या और उसका निदान” पर विभिन्न विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। शोध केंद्र के निदेशक श्री महेश सक्सेना ने विषय प्रवर्तन किया। श्रीमती साधना श्रीवास्तव का विचार था कि बच्चों के साथ बढ़ते दुष्कर्म लगातार बढ़ते जा रहे हैं, आवश्यक है कि अपराधी के लिए फांसी का प्रावधान तो हो ही, साथ में ऐसे व्यक्ति का सामाजिक बाहिष्कार होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षक पुरूस्कार प्राप्त सुधा दुबे ने कहा ली समाज के मूल्यों में नैतिक गिरावट आ रही है, बेरोजगारी के कारण युवा वर्ग टी व्ही और मोबाइल में व्यस्त रहता है और सेक्स अपराध की तरफ उन्मुख होता है। उन्होंने ‘पाक्सो एक्ट’ पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन कर रहे अनिल अग्रवाल ने कहा कि परिवार टूट रहे हैं। एकल परिवार बढ़ने के कारण दादा दादी का सानिध्य नहीं मिल पा रहा है और इस सुरक्षा कवच से बच्चे वंचित हैं। श्रीमती रागिनी उपलापवार ने कहा कि हम बच्चों को मित्र बनाना सीखें और उनको मित्र बनकर उचित मार्गदर्शन दें, यदि लड़कों को उचित दिशा दी जाए तो अपराध रुक सकते हैं. डाॅ मीनू पाण्डेय के अनुसार हमारे समाज में ऐसे लोग भी हैं जो दोहरे चरित्र के हैं। एक तरफ तो संस्कारी बातें करेंगे और बाल सुधार गृह खोलेंगे और दूसरी तरफ उन्हीं मासूम अवोधों के साथ दुष्कर्म करते हैं।
गोकुल सोनी के अनुसार बच्चों से मित्रवत होना चाहिए परंतु यदि लगता है कि बच्चे गलती कर रहे हैं तो सजा भी देना चाहिए क्योंकि रिवार्ड एंड पनिसमेंट हमेशा हमें सही दिशा प्रदान करता है। लचर कानून से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। आपने कहा कि दुष्कर्म रोकने के लिए शराब बंदी और पोर्न साइट्स बंद होना बहुत जरूरी है युवा अनुज शुक्ला ने कहा कि शिक्षा पद्धति में बदलाव होना चाहिए। पोर्न साइट्स बंद होनी चाहिए। बच्चों को धार्मिक ग्रंथ जरूर ही पढ़ाना चाहिए।
राजकुमारी चौकसे ने कहा कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि यदि कहीं दुष्कर्म हो रहा है तो सभी मिलकर उसको रोकने का प्रयास करे। डाॅ विनय कुमार दीवान ने बताया कि स्कूलों में जो अपराध पनप रहे हैं उनके समाधान के लिए स्कूल बसों में सिक्युरिटी गार्ड भी रहें एवं अलग स्टाफ हो बस का जो कि बच्चों के अभिभावकों को ही बच्चों को सौंपें। शिवम द्विवेदी ने कहा कि रिश्तेदार ही आजकल अवोधों के साथ दुष्कर्म में लिप्त है। अंत में श्री अरविंद शर्मा जी ने आभार व्यक्त किया।

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