मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में डिफेंस सेक्टर के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के दौरान डिफेंस बजट का कोई जिक्र नहीं किया गया.यह पहला मौका है जब किसी वित्तमंत्री के बजट भाषण में खास आवंटनों की घोषणा संसद में नहीं की गई है. हालांकि ऐसे रक्षा उपकरणों पर आधारभूत सीमा शुल्क से छूट दी गई है जिनका निर्माण भारत में नहीं हुआ हो.
हालांकि न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने रक्षा पेंशन के लिए 1,12,079.57 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. वहीं कुल रक्षा आवंटन लगभग 431,010.79 करोड़ रुपये है जो आने वाले वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार के कुल खर्च का 15.47% है.
डिफेंस सेक्टर के लिए अंतरिम बजट में क्या था?
बीते फरवरी महीने में पीयूष गोयल ने बतौर वित्त मंत्री बजट पेश किया था. इस बजट में पीयूष गोयल ने वन रैंक, वन पेंशन के तहत सरकार ने रिटायर्ड सैनिकों को 35 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही. सैनिकों की यह मांग 40 साल से लंबित पड़ी थी. इस बजट में सरकार ने डिफेंस सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया था. भारतीय इतिहास में पहली बार था जब डिफेंस सेक्टर के लिए बजट आवंटन 3 लाख करोड़ रुपये हुआ. हालांकि 2018 के बजट से तुलना करें तो डिफेंस सेक्टर के बजट में मामूली बढ़त थी.
डिफेंस सेक्टर के लिए 2018 के बजट में क्या था?
इससे पहले साल 2018 के आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2,95,511 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. इस हिसाब से अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने देश के रक्षा बजट में 5000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है. वहीं अगर साल 2017 में डिफेंस सेक्टर के लिए बजट की बात करें तो 2.74 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इस हिसाब से डिफेंस बजट में 7.81 फीसदी का इजाफा था.
बता दें कि इंटरनेश्नल पीस रिसर्च इंस्टीटयूट के मुताबिक हमारे पड़ोसी चीन का रक्षा बजट 250 बिलियन डॉलर का है, ये उसकी जीडीपी का 3 फीसदी है. वहीं पाकिस्तान की बात करें तो रक्षा बजट 9.6 बिलियन डॉलर का है. ये पाकिस्तान की जीडीपी का 3.5 फीसदी है. जबकि अमेरिका का रक्षा बजट 694 बिलियन डॉलर का है. ये अमेरिका की जीडीपी का 3.2 फीसदी है.