भोपाल
मध्य प्रदेश में होने वाले अब हर बड़े अपराध की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस क्राइम सीन का रिक्रिएशन करती दिखाई देगी. अभी तक सिर्फ बड़े शहरों में और किसी बड़े मामले में ही पुलिस इस तरह के रिक्रिएशन करती थी, लेकिन अब हर गंभीर मामले में पुलिस को यह प्रक्रिया अपनानी होगी. मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए सभी जिलों में सीन ऑफ क्राइम यूनिट गठित करने के आदेश दिए हैं. एफएसएल ने इसके लिए एसओपी भी जारी की गई है.
क्राइम ऑफ सीन बेहद महत्वपूर्ण
एफएसएल के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला ने बताया कि "किसी भी अपराध में सीन ऑफ क्राइम बेहद अहम होता है. यहां अपराध से जुड़े तमाम सबूत होते हैं, इसके मदद से पुलिस को आरोपी तक पहुंचने और उसे कोर्ट से सजा दिलाने तक में काफी मदद मिलती है. खासतौर से पेचीदा मामलों में पुलिस को अपराधी तक पहुंचने में कई बार यहीं से महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगता है. जैसे किसी अपराध में घटनास्थल पर दरवाजे, अन्य किसी सामान या फिर हथियार पर मिलने वाले फिंगर प्रिंट की पहचान करनी होती है.
इसी तरह डीएनए के लिए स्वैब के नमूने लेने होते हैं और अन्य सामान को पैकेजिंग करने के अलावा वहां के फोटोग्राफ और वीडियो लेने पड़ते हैं. इसके बाद एक डिटेल रिपोर्ट तैयार होती है.
इसलिए करना होता है रिक्रिएशन
वे बताते हैं कि कई मामलों में शुरूआती जांच में पुलिस के पास कोई सुराग नहीं होता. ऐसी स्थिति में मौजूदा साक्ष्यों और फोटोग्राफ आदि को देखने के बाद पूरी घटना का रिक्रिएशन किया जाता है. इससे घटना के तह तक पहुंचने में मदद मिलती है. यही वजह है कि अब हर जिले के पुलिस अधिकारियों और एफएसएल अधिकारियों को एसओपी भेजी गई है. इसमें भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत नए आपराधिक कानूनों पर त्वरित कार्रवाई के लिए सीन ऑफ क्राइम यूनिट का गठन का निर्णय लिया गया है.
इसके तहत सीन ऑफ क्राइम यूनिट को हर जिले में अलग स्थान भी उपलब्ध कराया जाएगा. इस यूनिट में फोटो यूनिट, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट, डॉग स्क्वॉड की ज्वाइंट टीम होगी. विशेष तौर से 7 साल और उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में इस यूनिट को अनिवार्य रूप से घटनास्थल की जांच करनी होगी."
सबूतों के अभाव में नहीं बचेंगे अपराधी
रिटायर्ड डीजी अरुण गुर्टू सभी जिलों में सीन ऑफ क्राइम यूनिट गठित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हैं. उनके मुताबिक बड़े अपराधों में यह होना ही चाहिए. इससे पुलिस जांच की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण सबूत हाथ लगते हैं. खासतौर से ब्लाइंड मर्डर जैसे मामलों में पुलिस को घटनास्थल से मिलने वाले सबूत न सिर्फ अपराधी तक पहुंचने बल्कि कोर्ट में अपराधी से अपराध की कड़ी जोड़ने में काफी मदद मिलती है. बड़े मामलों में रिक्रिएशन होने से सजा दिलाने में मदद मिलेगी और सबूतों के अभाव में अपराधी बच नहीं पाएंगे.
रिक्रिएशन से चला था पता कहां से आई थी गोली
राजधानी भोपाल के कोलार इलाके में अक्टूबर 2025 में गणेश उत्सव के दौरान एक झांकी में खेल रही बच्ची की गोली लगने से मौत हो गई थी. एक्स-रे रिपोर्ट से पता चला कि बच्ची की मौत गोली लगने से हुई. शुरूआती जांच में पुलिस को पता नहीं चल सका कि गोली किस दिशा से आई थी. बाद में पूरे घटनाक्रम का रिक्रिएशन किया गया और बारीकी से एनालिसिस किया गया तो पुलिस आरोपी तक पहुंच गई.
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