प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक मजाकिया बयान के खिलाफ रविवार को सोशल साइट्स पर कई आलोचनाएं सामने आईं. लोगों ने आरोप लगाए कि प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राहुल गांधी को डिस्लेक्सिया (मंदबुद्धि) के शिकार लोगों के साथ जोड़कर ऐसे लोगों की तौहीन की. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का वीडियो टि्वटर पर काफी शेयर किया गया है.
दरअसल रविवार को प्रधानमंत्री मोदी छात्रों के साथ एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे जिसमें छात्र समाज में कुछ बदलाव लाने वाले आइडिया बता रहे थे. एक छात्रा ने प्रधानमंत्री के सामने मंदबुद्धि बच्चों की मदद के लिए कुछ विचार रखे. इसपर मोदी ने उस छात्रा से पूछा कि यह योजना क्या किसी 40-50 साल के बच्चे के भी काम आएगी. उनके इस मजाक पर वहां मौजूद छात्र-छात्राएं हंसने लगे. इसके बाद प्रधानमंत्री भी हंसते दिखे. बच्चों ने एकसुर में बोला कि हां, ये योजना काम आएगी. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि तब तो बच्चे की मां काफी खुश होगी. प्रधानमंत्री का कथित तौर पर निशाना राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तरफ था.
सोशल साइट्स पर प्रधानमंत्री के इस मजाक की काफी आलोचना हो रही है. लोगों का कहना है कि उन्हें डिस्लेक्सिया के शिकार लोगों की ऐसे हंसी नहीं उड़ानी चाहिए. लोगों ने प्रधानमंत्री को ‘असंवेदनशील’ करार दिया है. कई लोगों ने ट्वीट कर लिखा कि प्रधानमंत्री से ऐसे मजाक की उम्मीद नहीं कर सकते.
राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की है. लेफ्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट में लिखा, ‘शर्मनाक और परेशान करने वाला. हम में से कुछ डिस्लेक्सिक या विकलांग रिश्तेदार, दोस्त, बच्चे और माता-पिता हैं. सत्तर साल में पहली बार, ऐसा जुमले वाला व्यक्ति पीएम की कुर्सी पर काबिज है. हद है मि. मोदी. ये हैं आपके संस्कार?’
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारमैया ने भी प्रधानमंत्री को घेरा और ट्वीट में लिखा, ‘ हमारे नरेंद्र मोदी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें डिस्लेक्सिक लोगों के नाम का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक बयानबाजी की गई. शर्म करो मोदी! आप इससे ज्यादा नीचे नहीं जा सकते. किसी भी नदी में डुबकी लगाने से आपकी असंवेदनशीलता दूर नहीं हो सकती. वे सीखने में धीमे हो सकते हैं लेकिन आपकी तरह हृदयहीन नहीं.’
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की और ट्वीट कर लिखा कि ‘भारत में डिस्लेक्सिया के 15 प्रतिशत मामले सामने आते हैं. 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मान्यता प्राप्त स्कूलों में 228,994,454 डिस्लेक्सिक छात्र हैं. यह संदेश असंवेदनशील पीएम मोदी के लिए है जो राजनीति के नाम पर उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकते.’