सदर बाजार थाना क्षेत्र के भूसा मंडी इलाके में बुधवार शाम हुए बवाल और फिर झुग्गी-झोपड़ियों में भीषण आग की घटना के बाद पूरा इलाका चर्चाओं में है। दरअसल मछेरान की अपनी अलग कहानी है। यहां अपनी सियासत का सिक्का चलता है। यहां अपना अलग कानून है। मछेरान में रहने वाले लोग एक कमेटी के फैसले से इतर नहीं जा सकते। यदि फैसले से इतर चले जाएं तो उन्हें दंड भुगतना पड़ता है।
मछेरान पहले भी कई बार चर्चाओं में आ चुका है। इसमें एक बार तो एक कमेटी ने मादक पदार्थों के बिक्री करने वाले लोगों के खिलाफ मुहिम चलाई थी। लोगों ने मिलकर ऐसे ठिकानों को निशाना बनाया था। जहां नशीले पदार्थों की बिक्री होती थी। वह मुहिम काफी दिनों तक चर्चाओं में रही। बाद में विवादों में पड़ी तो मुहिम ठंडी पड़ गई। हालांकि इस मुहिम से पुलिस को राहत मिली थी। मछेरान को लेकर जिस तरह से चर्चाएं हैं। उसके मुताबिक यहां अपना ही कानून चलता है। एक कमेटी के अध्यक्ष जो भी फरमान सुना दें, वहां रहने वाले लोगों को उसका पालन करना होता है। ऐसे मे कमेटी के अध्यक्ष चाहे चुनाव में किसी भी प्रत्याशी विशेष को वोट देने को लेकर फैसला दें अथवा अन्य किसी मामले में अपना फैसला सुनाएं। बताते हैं कि जो अध्यक्ष का फैसला पलटे, उसे बिरादरी से बाहर अथवा सामाजिक बहिष्कार का दंश भी झेलना होता है।
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बताते हैं कि मछेरान में चलने वाले अपने कानून के साथ स्थानीय सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त होता है। लोग मोहल्लों में पुलिस को भी घुसने नहीं देते हैं। पुलिस को कार्रवाई के लिए स्थानीय लोगों को और यहां पर नेतागिरी करने वाले लोगों को विश्वास में लेकर ही कार्रवाई करनी पड़ती है। बुधवार को हुई घटना को लेकर चर्चा रही कि आखिरकार इस इलाके में किसने युवाओं को उकसाया और भड़काया। इससे पूरे इलाका जल उठा।
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