प्राचीन परंपराओं के अनुसार इन दिन दान और नदी स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग संक्रांति पर दान करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और दुख-दर्द से छुटकारा मिलता है।
देशभर में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
इस दिन का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। विज्ञान के अनुसार भी मकर संक्रांति पर्व स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष लाभकारी होता है। सूर्य के मकर राशि में आने उत्तरायण होने से ठंड का प्रभाव कम होने लगता है।
मकर संक्रांति पर राशि अनुसार क्या करें दान …
1. मेष- जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें। तिल-गुड़ का दान दें। उच्च पद की प्राप्ति होगी।
2. वृषभ- जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। बड़ी जवाबदारी मिलने तथा महत्वपूर्ण योजनाएं प्रारंभ होने के योग बनेगें।
3. मिथुन- जल में तिल, दूर्वा तथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गाय को हरा चारा दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
4. कर्क- जल में दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल-मिश्री-तिल का दान दें। कलह-संघर्ष, व्यवधानों पर विराम लगेगा।
5. सिंह- जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान दें। किसी बड़ी उपलब्धि की प्राप्ति होगी।
6. कन्या- जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। गाय को चारा दें। शुभ समाचार मिलेगा।
7. तुला- सफेद चंदन, दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल का दान दें। व्यवसाय में बाहरी संबंधों से लाभ तथा शत्रु अनुकूल होंगे।
8. वृश्चिक- जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ का दान दें। विदेशी कार्यों से लाभ तथा विदेश यात्रा होगी।
9. धनु- जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चहुंओर विजय होगी।
10. मकर- जल में काले-नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गरीब-अपंगों को भोजन दान दें। अधिकार प्राप्ति होगी।
11. कुंभ- जल में नीले-काले पुष्प, काले उड़द, सरसों का तेल-तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। तेल-तिल का दान दें। विरोधी परास्त होंगे। भेंट मिलेगी।
12. मीन- हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। सरसों, केसर का दान दें। सम्मान, यश बढ़ेगा।
!!जय श्री काल भैरव नाथ जी महाराज की जय!!