*हमीदिया अस्पतालः पर्चे में लिखी ज्यादातर दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर मरीज
आम सभा,भोपाल।
भोपाल शहर के हमीदिया अस्पताल में लोगों को वार्डों में जरूरी दवाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के हालात इतने खराब हैं कि यहां पर एसिडिटी जैसी आम समस्या की पेंटाप और रेनीटिडीन जैसी दवाओं का भी टोटा है। तीन हजार की ओपीडी और छह सौ की आईपीडी वाले अस्पताल में मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदने को कहा जा रहा है। पर्चे में लिखी जाने वाली 55 प्रतिशत दवाएं अस्पताल में नहीं हैं। ऐसे में चिकित्सकों के पर्चे मेडिकल स्टोर तक जा रहे हैं। यह स्थिति फरवरी माह से बजट नहीं मिलने के कारण बनी है। दवाओं की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्लूको मीटर की स्ट्रिप और मरीजों को चढ़ाया जाने वाला नॉर्मल सलाइन भी नहीं है, जबकि इन दवाओं का स्टॉक समाप्त होने के एक माह पहले ही अस्पताल प्रबंधन को आर्डर लगा देने थे। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अधीक्षक हमीदिया अस्पताल, भोपाल से जांच कराकर उक्त दवाओं तथा अन्य दवाओं की दिनांक 01.01.2023 से दिनांक 15.05.2023 तक उपलब्धता एवं वितरण की स्थिति संबंधित स्टाॅक रजिस्टर एवं दवा वितरण रजिस्टर की सत्यापित प्रतियों सहित की गई कार्यवाही के संबंध में पंद्रह दिन में प्रतिवेदन मांगा है।
*तीन साल से नींद में हमीदिया की स्लीप लैब*
भोपाल शहर के हमीदिया अस्पताल में नींद की बीमारियों की जांच नहीं हो पा रही है। यहां स्लीप स्टडी करने वाली मशीन मौजूद तो है, लेकिन इसका जून 2017 से ही ठीक से संचालन नहीं हो पा रहा है। बीच में कुछ दिन तक चलने के बाद मशीन फिर खराब हो गई। इससे मरीजों को निजी अस्पतालों में जांच कराना पड़ रही है। जिसमें करीब पांच हजार रुपये लग रहे हैं। इससे पहले हमीदिया अस्पताल में यह जांच निःशुल्क की जाती थी। हमीदिया अस्पताल में स्लीप स्टडी करने वाली पालीसोमनोग्राफी मशीन को 2017 में 15 लाख रुपये में खरीदा गया था। स्लीप लैब खुलने के बाद से ही अलग-अलग कारणों से हमेशा ही बंद पड़ी रहती है। इस मशीन से नींद की स्थिति सोते वक्त आॅक्सीजन की मात्रा, नींद के दौरान मस्तिष्क में चलने वाली तरंगों आदि का अध्ययन किया जाता है। खर्राटे की बीमारी की जांच भी इससे की जाती है। निजी अस्पताल में इस जांच का खर्च पांच हजार रुपये तक है। हमीदिया में मशीन चालू रहती तो आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों को यह जांच मुफ्त में हो जाती वहाँ अन्य मरीजों की जांच के लिए करीब 200 रुपये खर्च करना होते हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अधीक्षक हमीदिया अस्पताल, भोपाल से जांच कराकर निम्न बिंदुओं:- 1. पालीसोमनोग्राफी मशीन से मरीजो की जांच किस दिनांक तक हुई है ? 2. यह मशीन कितने समय से बंद है ? 3. इसे ठीक कराकर उपयोग में लाये जाने की अब तक क्या कार्यवाही की गई है ? 4. कब तक उपयोग योग्य होकर मरीजो के लिए उपलब्ध हो सकेगी ? पर आवश्यक दस्तावेजात से समर्थित हो, सुनिश्चित कर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
*किसान ने अपने ही खेत में की आत्महत्या*
भोपाल शहर के ईंटखेड़ी में बीते बुधवार को एक 22 वर्षीय किसान ने अपने खेत में पेड़ से फंदा लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया कि सुशील साहू बुधवार शाम करीब पांच बजे खेत से चारा लेने घर से निकला था। शाम छह बजे तक जब वह नहीं लौटा तो उसकी मां ने बड़े बेटे को जाकर देखने को कहा। जब उसका भाई खेत में पहुंचा तो साहू को पेड़ से लटका देख उसके होश उड़ गए। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पीड़ित परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज करने के बाद मृतक के इस कदम के पीछे के सही कारण का पता चल पाएगा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
*सड़क हादसे में मौत, पुलिस ने मदद करने वाले को ही बनाया आरोपी*
भोपाल शहर में 14 मई की रात सड़क हादसे में घायल युवक की मदद करने रुके एक कार चालक को ही पुलिस ने आरोपी बना दिया है। दरअसल, इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। हालांकि, कोहेफिजा पुलिस का कहना है कि ये एफआईआर मृतक की पत्नी की शिकायत के आधार पर की गई है। यह हादसा मदर इंडिया कॉलोनी निवासी 40 वर्षीय जावेद के साथ हुआ था। 14 मई की रात करीब साढ़े दस बजे वह बीआरटी कॉरिडोर पार कर रहे थे। तभी अज्ञात वाहन ने जावेद को टक्कर मार दी। हादसे के बाद वहां से गुजर रहे कार सवार जितेंद्र ने भीड़, देखकर गाड़ी रोकी और घायल को अस्पताल ले जाने की पहल की। वहीं किसी ने ये सोचकर उनकी कार में तोड़फोड़ कर दी कि इसी कार से हादसा हुआ है। जितेंद्र यहां से निकलकर थाने पहुंचे तो पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। उल्टा उन पर ही केस कर दिया गया। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है। तथा यह भी पूछा है कि घटनास्थल के पास सीसीटीव्ही केमरा लेगे हो तो उनके अवलोकन उपरान्त भी स्थिति स्पष्ट हुई ?
*सिवनी के जंगल में बाघ ने बुजुर्ग महिला को मार डाला*
सिवनी जिले में तेंदू पत्ता बीनने जंगल गई एक बुजुर्ग महिला पर बाघ ने हमला कर मार डाला। यह क्षेत्र वन विकास निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। बाघ ने पीड़िता का सिर काट दिया और धड़ को खा गया, जिससे स्थानीय समुदाय में सदमे की लहर दौड़ गई। घटना की सूचना मिलने पर बरघाट के धरनाकला से पुलिस व वन विभाग के आष्टा रोड़ पर स्थित कल्याणपुर के एक विशाल वन क्षेत्र के समीप घटनास्थल पर पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने कार्यवाही की मांग को लेकर जमा हो गया। पीड़िता की पहचान मीरा बाई राणे के रूप में हुई है, जो अपने पति बाबूलाल राणे के साथ सुबह करीब 7 बजे कल्याणपुर के पास जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए निकली थी। इसी नियमित गतिविधि के दौरान मीरा बाई बाघ का शिकार हो गईं। बाघ भीषण घटना स्थल के पास ही रहा, जिससे स्थानीय ग्रामीणों के संकट और भय में वृद्धि हुई। आक्रोशित स्थानीय लोगों ने वन विभाग से समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। वन अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों को वन क्षेत्रों से दूर रहने के लिए चेतावनी दी थी। अधिकारियों ने स्थानीय लोगों और जो अपनी आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर हैं, दोनों के जीवन की सुरक्षा के लिए उन्नत उपाय करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआवजा दिया जा रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने डीएफओ, सिवनी से जांच कराकर मृतका के उत्तरअधिकारियों को मुआवजा राशि आदि एवं क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा के संबंध में की गई व्यवस्था के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
*पति, सास और ननद ने किया प्रार्थी महिला को जलाने का प्रयास*
गुना जिले के आरोन थानाक्षेत्रांतर्गत पनवाड़ी चैकी के ग्राम टंक बरोद ससुराल में प्रार्थी महिला का पति, सास, और ननद के द्वारा आए दिन दहेज को लेकर गाली-गलौच व मारपीट की जाती रही। इतना ही नहीं महिला को तेल डालकर आग लगाने का प्रयास किया गया और अब जान से मारने की धमकी दी जा रही है। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर महिला ने थाना आरोन में शिकायत की। इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं होने पर पीड़ित महिला ने पुलिस अधीक्षक के समक्ष शिकायती आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन आज दिनांक तक पुलिस की ओर उसकी कोई सुनवाई नहीं की गई। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, गुना से जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदनमय समर्थनकारी दस्तावेजात तीन सप्ताह में मांगा है।