बेरूत.
लेबनान में इजरायल के युद्ध से हालात बदतर हो गए हैं. हर तरफ बमबारी हो रही है. लाखों लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं. कहा जा रहा है कि अब तक 30 लाख लोगों को बेघर होना पड़ा है. हालात तब और खराब हो गए जब इजरायली सेना ने हिज्बुल्लाह के ठिकानों को टार्गेट करते हुए दक्षिणी लेबनान के 20 से ज्यादा गांवों के लोगों को तुरंत खाली करने का आदेश जारी कर दिया.
दक्षिणी बेरूत के कई स्कूल और कॉलेज अब आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) के कैंपों में तब्दील हो चुके हैं. यहां न सिर्फ महिलाओं और बच्चों का भारी संख्या में आना जाना है, बल्कि उनकी सुरक्षा और उनके मेंटल हेल्थ को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं. इंडिया टुडे ने यहां रिफ्यूजी कैंप में लोगों से बात की जिन्होंने बताया, "बमबारी की आवाज से बच्चे परेशान हो जाते हैं, लेकिन हमें इसकी आदत हो गई है."
हजारों लोगों ने छोड़ा अपना घर
एक 50 वर्षीय अन्य लेबनानी नागरिक ने कहा, "हमने सुरक्षा के लिए अपने गांवों को छोड़ा है क्योंकि वे (इजरायली सेना) घरों पर हमला कर रही हैं. उनके पास इस दावे का कोई प्रमाण नहीं है कि वहां हथियार जमा हैं." कैंप में खाने-पीने और अन्य जरूरतों की व्यवस्था स्थानीय और विदेशी एनजीओ कर रहे हैं. एक अन्य नागरिक ने बताया कि हालात अच्छे नहीं हैं. हजारों लोग अपना घर छोड़ रहे हैं.
लेबनान में 2300 से ज्यादा नागरिकों की मौत
युद्ध के बारे में पूछे जाने पर स्थानीय ने बताया कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता और इसका कोई हल जल्द नजर नहीं आता. इजरायल-हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष तब शुरू हुए जब हमास के समर्थन में संगठन ने इजरायल पर बमबारी की. हमास के समर्थन में हिज्बुल्लाह लड़ाके शुरू से इजरायली क्षेत्रों में बमबारी कर रहे थे. अब आलम ये है कि इजरायल लगातार यहां बमबारी कर रहा है. मसलन, 2300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं.
इजरायल-हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष
इजरायली सेना लेबनान के भीतर अभियान चला रही हैं और हिज्बुल्लाह लड़ाकों के साथ वे लगातार टकराव में हैं. वे टैंकों और भारी हथियारों के साथ लेबनान में घुसे हैं. हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद हिज्बुल्लाह की कमर टूट चुकी है और इजरायली सेना उसके उत्तराधिकारियों को भी नहीं बख्श रहे हैं. फिलहाल लेबनान में उसकी सेना हिज्बुल्लाह के ठिकानों को तबाह कर रही है. इजरायल का दावा है कि यहां लोगों ने अपने घरों में हथियार छिपा रखे हैं, लेकिन स्थानीय आम लोग इससे इनकार करते हैं.