अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दो कश्मीरी छात्रों के निलंबन और फिर उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज करने को लेकर माहौल लगातार गर्माता जा रहा है.
विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कुछ कश्मीरी छात्रों ने प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए धमकी दी है कि यदि मुक़दमा वापस न हुआ और उत्पीड़न बंद न हुआ तो कश्मीरी छात्र अपनी डिग्री और पढ़ाई छोड़कर कश्मीर वापस चले जाएंगे.
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में मारे गए चरमपंथी और एएमयू के छात्र रहे अब्दुल मन्नान वानी की मौत के बाद उनके सम्मान में कथित तौर पर शोकसभा करने, नमाज़ पढ़ने और देशविरोधी नारे लगाने के आरोप में कुछ छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है और मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है.
इसके अलावा पुलिस ने दो निलंबित छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा भी दर्ज किया है और अन्य की पहचान की जा रही है.
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय साहनी कहते हैं, “कुछ ऐसे वीडियो मिले हैं जिनमें देशविरोधी नारे लग रहे हैं. उनकी जांच की जा रही है, एएमयू प्रशासन से भी सीसीटीवी फुटेज़ मंगाकर उनकी जांच हो रही है. दो लोगों के ख़िलाफ़ नामज़द और कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.”
एसएसपी अजय साहनी का ये भी कहना था कि संदिग्ध छात्रों के बारे में और जानकारी लेने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस से भी सहयोग लिया जा रहा है. इस बीच एएमयू प्रशासन ने भी कुछ छात्रों को कारण बताओ नोटिस दिया है जबकि दो छात्रों को निलंबित कर दिया गया है.
एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे सज्जाद सुभान ने बीबीसी को बताया, “ये साफ़ होने के बावजूद कि उस दिन न तो कोई नमाज़ हुई और न ही कोई सभा मन्नान वानी को लेकर हुई, फिर भी कश्मीरी छात्रों को टारगेट किया जा रहा है. ऐसे माहौल में क्या पढ़ाई लिखाई होगी. हम लोगों ने प्रॉक्टर से मिलकर ये कह दिया है कि यदि हमें परेशान करना बंद नहीं हुआ और छात्रों पर दर्ज मुक़दमे वापसी नहीं हुए तो सभी कश्मीरी छात्र 17 अक्टूबर को वापस चले जाएंगे.”
सज्जाद सुभान का कहना है कि एएमयू में इस समय सभी कश्मीरी छात्र काफी डरे हुए हैं. बताया जा रहा है कि परिसर का माहौल अशांत होने के कारण तमाम कश्मीरी छात्र वापस चले भी गए हैं.
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 17 अक्टूबर तक का समय दिया है. इस दिन एएमयू में विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां के जन्मदिवस पर ‘सर सैयद डे’ मनाया जाता है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से वापस न जाने की अपील कर रहा है.
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एएमयू के प्रॉक्टर मोहसिन खान का कहना है, “जो पढ़ने लिखने वाले बच्चे हैं उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. उनसे कह दिया गया है कि जिन्हें नोटिस दिया गया है वो अपना पक्ष स्पष्ट कर दें. यहां से किसी को जाने की ज़रूरत नहीं है.”
मोहसिन ख़ान के मुताबिक एएमयू में क़रीब 950 कश्मीरी छात्र हैं जिनमें 250 के लगभग छात्राएं हैं. एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफ़े किदवई ने कश्मीरी छात्रों के उत्पीड़न के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी बेकसूर को नहीं फंसाया जाएगा लेकिन परिसर में किसी भी तरह की देशविरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि मन्नान वानी की मौत के बाद कुछ छात्रों ने परिसर में अवैध रूप से इकट्ठा होने और सभा करने की कोशिश ज़रूर की थी लेकिन उन्हें प्रशासन ने और कुछ छात्रों ने ही वहां से भगा दिया.
पीआरओ शाफ़े किदवई के मुताबिक, इसी आरोप में कुछ छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. एएमयू प्रशासन ने भी किसी तरह की सभा होने या फिर नमाज़ पढ़ने की बात से इनकार किया है.
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हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि विश्वविद्यालय छोड़ने की धमकी देने वालों में कुछ ही कश्मीरी छात्र शामिल हैं, कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एएमयू में छात्र संघ चुनाव भी होने वाले हैं और कुछ लोगों को ये राजनीति करने का अच्छा मौक़ा मिला है.
वहीं इस मामले में जहां एएमयू परिसर का माहौल गर्म है तो अब इसकी वजह से परिसर के बाहर भी राजनीतिक गर्मी भी बढ़ने लगी है.
स्थानीय बीजेपी सांसद सतीश गौतम जहां सभी कश्मीरी छात्रों की जांच करने की मांग कर चुके हैं वहीं एआईएमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वो मामले को ठीक से नहीं निपटा रहा है. ओवैसी ने छात्रों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेने की मांग की है.
मन्नान वानी एएमयू में पीएचडी का छात्र था. इसी साल जनवरी में वो पढ़ाई छोड़कर कश्मीर के चरमपंथी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना के साथ मुठभेड़ में वानी की मौत हो गई थी.
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