बेंगलुरु
कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार के लिए गुरुवार का दिन परीक्षा की घड़ी है। राज्य में कई हफ्ते से चल रहे सियासी नाटक के बीच सीएम कुमारस्वामी को सदन में बहुमत हासिल करना है। 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा (एक मनोनीत समेत) में वैसे तो जादुई आंकड़ा 113 है लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के 15 विधायकों की बगावत के बाद तस्वीर बदल गई है। अब सामान्य बहुमत हासिल करने के लिए मैजिक नंबर घटकर 106 पर पहुंच गया है। एक नजर डालते हैं नंबर गेम से जुड़ी बड़ी बातों पर:
225– कर्नाटक विधानसभा में एक मनोनीत विधायक समेत कुल सदस्यों की संख्या। सदन में 224 निर्वाचित सदस्य हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर मनोनीत सदस्य भी वोट डाल सकता है।
210– अगर 15 विधायक (एक ने इस्तीफा वापस लिया) वोटिंग में गैरहाजिर रहते हैं तो कुल संख्याबल 210 पहुंच जाएगा। कांग्रेस के एक बागी विधायक रामलिंगा रेड्डी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। रेड्डी ने कहा है कि वह गठबंधन सरकार के पक्ष में अपना वोट डालेंगे।
106– अगर 15 विधायक वोटिंग में शामिल नहीं होते हैं तो बहुमत का जादुई आंकड़ा 106 होगा।
105– बीजेपी के पास कुल 105 विधायक हैं। यानी बागियों के वोटिंग से बाहर रहने की सूरत में उसे कुमारस्वामी की सरकार गिराने के लिए सिर्फ एक विधायक का समर्थन जरूरी होगा। दो निर्दलीय विधायकों (एच नागेश और आर शंकर) ने पहले ही बीजेपी को समर्थन दे रखा है।
102– कांग्रेस और जेडीएस के कुल विधायकों की संख्या। स्पीकर और एक मनोनीत विधायक को शामिल करने के बाद गठबंधन सरकार के पास 102 विधायकों का समर्थन है। हालांकि स्पीकर टाई होने की सूरत में ही अपना वोट डाल सकते हैं।
3– निर्दलीय और अन्य विधायक। दो निर्दलीय एमएलए बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं। इकलौते बीएसपी विधायक एन महेश का रुख किधर होगा, इस पर अभी सस्पेंस है।
6– कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बचाने के लिए कम से कम छह बागियों को अपने खेमे में वापस लाना होगा। अगर एक बागी विधायक अयोग्य घोषित हो जाता है और बीएसपी विधायक गठबंधन के समर्थन में वोट डालते हैं तो कुमारस्वामी सरकार को चार बागियों के समर्थन की जरूरत होगी।
स्पीकर करें विधायकों पर फैसला: SC
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर अंतरिम आदेश दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विधायकों के इस्तीफे पर फैसला स्पीकर करें। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर नियमों के अनुसार फैसला करें। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हमे इस मामले में संवैधानिक बैलेंस कायम करना है। स्पीकर खुद से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्हें समयसीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।’