करगिल युद्ध को भले ही भारतीय सेना के अदम्य साहस औऱ वीरता की गाथा के लिए याद रखा जाएगा, लेकिन मध्य प्रदेश में सरकार बदलते ही पाठ्यक्रम से इससे जुड़े अध्याय को भी बदल दिया गया है. कॉलेज सिलेबस से कारगिल युद्ध से जुड़े पाठ को हटा दिया गया है. इसके पीछे ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं जो किसी के गले नहीं उतर रहे.
भोपाल का सबसे पुराना और बड़ा एमवीएम साइंस कॉलेज में सैन्य विभाग भी है. सरकार बदलते ही उसके सिलेबस में भी बदलाव कर दिया गया है. वर्ष 2019-20 के सिलेबस से करगिल वॉर का अध्याय हटा दिया गया है, जबकि 2017-18 के सेशन तक यह पाठ्यक्रम में शामिल था. कॉलेज ने 15 से 20 लोगों की टीम रिव्यू के लिए बनाई थी. इसी टीम ने कोर्स में बदलाव किया है. इसके पक्ष में ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं, जो किसी के गले नहीं उतर रहा है. कहा जा रहा है कि करगिल युद्ध की किताबें न मिलने के कारण इसे कोर्स से हटाया गया है. करगिल वॉर पर अच्छे लेखकों की किताबें नहीं हैं. ये अलग बात है कि प्रॉक्सी वॉर के जरिए छात्र-छात्राओं को सारे युद्धों की जानकारी दी जा रही है.
तिलमिलाई बीजेपी
भारतीय सेना की इस विजय गाथा को कोर्स से हटाने पर सियासत भी गर्मा गई है. बीजेपी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी का कहना है कांग्रेस सरकार के इशारे पर यह किया गया है, क्योंकि प्रदेश सरकार अटल बिहारी वायपेयी के शासनकाल में हुए इस युद्ध की परम वीर गाथा नई पीढ़ी को नहीं बताना चाहती है.