भोपाल : तमाम प्रयासों के बाद भी बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई प्रदेश से खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 8,91,811 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह संख्या देशभर में होने वाले कुल बाल विवाह का करीब सात प्रतिशत है। बाल विवाह के मामले में प्रदेश का देशभर में छठा स्थान है। यह आंकड़ा चिंतित करने वाला है।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) द्वारा यहां आयोजित ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान में जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने मध्य प्रदेश की इस स्थिति पर चिंता जताई और सरकार से अपील की कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह की बुराई को खत्म किया जा सके। केएससीएफ ने स्वयंसेवी संस्थाओं को एकजुट करने और बाल विवाह के खिलाफ लड़ने के लिए यहां एक सम्मेलन भी किया। केएससीएफ ने यह सम्मेलन राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर किया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। यानि की शादी के लिए जरूरी कानूनी उम्र 18 से पहले। हालांकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि साल 2019-2021 तक प्रदेश में केवल 13 बाल विवाह के मामले ही दर्ज किए गए। यह काफी चौंकाने वाला है। इससे साफ है कि बाल विवाह के मामलों में पुलिस के पास शिकायत ही नहीं की जा रही है। लोग इस सामाजिक बुराई को परंपरा का नाम देकर चुप्पी साध लेते हैं। सम्मेलन में इस पर गंभीरता से विमर्श हुआ। साथ ही लोगों से, सरकारों से व सुरक्षा एजेंसियों से इस मामले में सख्त रुख अपनाने की अपील भी की गई।
सम्मेलन में बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने के लिए एक अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति करना, बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट से जोड़ने पर गहन विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाना है। साथ ही बाल विवाह के खिलाफ अभिभावकों को जागरूक करने पर भी गंभीर चर्चा हुई।
इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश तोमर और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर सहित कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश तोमर ने बाल विवाह को एक जटिल समस्या बताते हुए कहा, ‘चूंकि यह प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसलिए लोग इसे परंपरा मानकर मान्यता देते आए हैं। यही कारण है कि इसे रोकने में मुश्किलें सामने आती हैं। बाल विवाह को रोकने के लिए सभी विभागों व नागरिक संगठनों को एकजुट होकर काम करना होगा।’