आम सभा, भोपाल। विश्व में भारत की महानता एवं प्रसिद्धि का मूल कारण भारतीय संस्कृति रही है, यह सर्वविदित है। विना मूलं न तरव: , संस्कृति: संस्कृतं विना इति लोकोक्ति के अनुसार भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत नि:सन्देह संस्कृत ही है। संस्कृत शास्त्रों में वैश्विक ज्ञान विज्ञान के साथ-साथ मानवीय मूल्यों का विकास के संबंधित तत्वों भी विद्यमान है। शृंखलित दिनचर्या तथा उत्तम नागरिक के निर्माण में संस्कृत का योगदान अतुलनीय है।
अतः संस्कृत को प्रत्येक जनमानस तक पहुंचाने हेतु संस्कृत भारती न केवल भारत में अपितु विश्व में संस्कृत का प्रचार प्रसार निरंतर कर रहा है। संस्कृत के प्रचार प्रसार में सहयोगी के रुप में सदा पत्रकारों का योगदान रहा है।
अतः संस्कृत भारती मध्य भारत प्रांत के द्वारा संस्कृत और संस्कृति के प्रचार प्रसार में मीडिया का योगदान के विषय पर 31 अक्टूबर 2020 वाल्मीकि जयंती के पावन दिवस पर अपरान्ह 3:00 बजे से विश्व संवाद केंद्र डी-100/45 शिवाजी नगर भोपाल में पत्रकार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मध्य प्रदेश तथा भोपाल के सभी पत्रकारों की उपस्थिति रही। अतिथि के रूप में अक्षत शर्मा, निदेशक एवं वरिष्ठ पत्रकार, स्वदेश, भोपाल ने संस्कृत और संस्कृति के अन्त: सम्बन्ध है। संस्कृत से ही संस्कृति की सुरक्षा की जा सकती है एवं इसका प्रचार में मीडिया का योगदान सतत रहेगा।
रमेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल ने आज के बच्चों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक है। सामाजिक माध्यमों द्वारा इसका प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक है। मुख्यवक्ता के रूप में प्रोफेसर के.जी सुरेश, कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल जी ने वैश्विक ज्ञान-विज्ञान परंपरा का स्त्रोत संस्कृत है। मानवीय मूल्यों का विकास हेतु रामायण एक श्रेष्ठ ग्रन्थ है, यह कहा।
कार्यक्रम में संस्कृत भारती, मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार जी प्रांत संगठन मंत्री नीरज दीक्षित जी तथा प्रांत सदस्यगण एवं भोपाल महानगर के मंत्री संजय मीणा एवं सह मंत्री भरत बाथम तथा प्रचार प्रमुख अतुल अयाचित आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम के सत्र संयोजक डॉ लक्ष्मी नारायण पांडे जी ने किये हैं।