मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने उठाए सवाल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारिखों का ऐलान कर दिया है। जिसके बाद देशभर में राजनीतिक सियासत गर्मा गई है। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में मतदान की तारीखों को लेकर विवाद बढ़ गया है।
चुनाव की तारीखें रमजान के महीने में रखने पर मुस्लिम नेताओं ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि रोजेदारों को मतदान के लिए जाने में परेशानी होगी। कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि चुनाव के समय मुस्लिमों का रोजा होगा। इस बात पर चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए था। हाकिम ने कहा, चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहते हैं।
लेकिन 7 चरणों में चुनाव बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए मुश्किल होगा। यह उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होगा जिनका उस समय रमजान चल रहा होगा। उन्होंने कहा, इन तीन राज्यों में अल्पसंख्यक आबादी काफी ज्यादा है। वह रोजा रखकर वोट डालेंगे। चुनाव आयोग को इस बात को अपने दिमाग में रखना चाहिए।
भाजपा चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डालें। लेकिन हम इससे चिंतित नहीं हैं। लोग भाजपा हटाओ-देश बचाओ को लेकर प्रतिबद्ध हैं। ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने चुनाव आयोग से 6, 12 व 19 मई को होने वाले मतदान की तिथि बदलने पर विचार करने की मांग की है।