आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी : अतिशय युक्त श्री 1008 श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पुराना मंदिर जी में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के परम शिष्य पाठशाला प्रणेता पूज्य मुनि श्री निर्णय सागर जी, पूज्य मुनि श्री पदम् सागर जी एवं ऐलक श्री क्षीर सागर जी महाराज विराजमान हैं. मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज ने प्रत्येक जन मानस को दिए अपने संदेश मै कहा कि यदि भारतीय परम्परा, सभ्यता, संस्कृति का अनुशरण जो प्राचीन काल मै हुआ करती थी उसका आज भी आचरण करने लगे तो कोराना जैसी बीमारिया सम्भव ही नहीं हैं कि किसी पर हावी होगा सके. मुनि श्री के संदेश को जन जन तक पहुँचाने हेतु जैन प्रवक्ता प्रवीण जैन “जैनवीर ” ने बताया कि आयुर्वेद का नियम हैं कि परहेज होने पर दबाई का कोई अर्थ नहीं एवं परहेज नहीं होने पर भी दबाई का कोई अर्थ नहीं हैं. मतलब यह हैं कि प्रकृति के नियमों का पालन करेंगे और पश्चमी संस्कृति से अपने को बचाएंगे तो अपने को कभी बीमार नहीं पाएंगे. आज जंगल काट रहे हैं, अंडा, मांस, शराब को जीवन में स्थान दें रहे हैं.
आज व्यक्ति को बाजार में दूध मिले या न मिले, तम्बाकू, चरस, गांजा, शराब चौबीस घंटे उपलब्ध है. आज धन कमाने के नाम पर मिलावटी सामान बाजार में आ रहे हैं इसका ही तो दुःखद परिणाम हैं कि हम अपने शरीर में रोग प्रति रोधी क्षमता को नहीं पा रहे हैं. इसलिए कभी बर्ड फ़्लू, कभी स्वाइन फ़्लू, कभी इबोला, और कभी कोरोना के शिकार हो रहे हैं.
मुनि श्री ने कहा कि भारत वासियो आज भी समय हैं लौट चलो अपने पुराने भारत कि ओर, जंगलों को बचाओ, जल को बचाओ, शाकाहार अपनाओ और नशे से अपने को बचाओ. मुनि श्री ने कहा कि मै पूछना चाहता हूँ आपसे क्या राम, महावीर, कृष्ण के समय मै ऐसी बीमारियां होती थी, क्या हम भी राम, महावीर, कृष्ण की तरह सात्विक खाये, सात्विक बोले, सात्विक विचारों को रखें तब ही ऐसी भयानक कोरोना जैसी महामारी से स्वयं को, देश को और विश्व को बचा सकते हैं. अंत मै प्रवीण जैन जैनवीर ने कहा कि हमें अपने देश को समृद्ध एवं शक्ति शाली बनाने के लिए स्वदेशी को अपनाना होगा एवं विदेशी को भगाना होगा तभी हमारा भारत देश एक सर्व शक्तिमान राष्ट्र बनेगा.