
हरिओम त्यागी, ग्वालियर : उन्नत पशुपालन किसानों की आय का प्रमुख जरिया बन सकता है। बहुत से प्रगतिशील किसानों ने इसे साबित भी किया है। इसलिये किसान भाई अपने पशुओं को सड़कों पर निराश्रित भटकने के लिये न छोड़ें, उन्हें अपनाएं और अपनी आय बढ़ाएं। यह बात पशुपालन, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने कही। श्री यादव बुधवार को मेला स्थित पशु चिकित्सालय परिसर में जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार वितरित कर रहे थे।
पशुपालन मंत्री श्री यादव ने जिले भर में सर्वाधिक दूध दे रही गाय व भैंस पालकों को गोपाल पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने गौपूजन व भैंस पूजन करने के बाद इन पशुपालकों को प्रथम पुरस्कार के रूप में 50 हजार, द्वितीय 25 हजार व तृतीय पुरस्कार 15 हजार रूपए भी दिए गए हैं। इसके अलावा पाँच – पाँच हजार रूपए के 7 – 7 सांत्वना पुरस्कार भी दिए गए।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि यदि बेहतर ढंग से पालन किया जाए तो गाय भी भैंस से ज्यादा दूध दे सकती है। ग्वालियर जिले के कई गाय पालकों ने भी इसे साबित किया है। उन्होंने इस अवसर पर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि दूर-दराज के गावों तक दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रोत्साहित करें, इससे आवारा पशुओं की समस्या भी हल होगी।
कार्यक्रम में संचालक पशुपालन डॉ. आर के रोकड़े, कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री एच बी एस भदौरिया, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिवम वर्मा व संयुक्त संचालक पशुपालन डॉ. अशोक तोमर मंचासीन थे। आरंभ में उप संचालक पशुपालन डॉ. ओ पी त्रिपाठी ने गोपालन योजना पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आर एम स्वामी ने किया।
इन्हें मिले गोपाल पुरस्कार
गौवंश – गिरि नस्ल की गाय के मालिक घासमण्डी निवासी नवल सिंह यादव को प्रथम पुरस्कार मुख्य अतिथि लाखन सिंह यादव ने प्रदान किया। इनकी गाय प्रतिदिन 19.075 लिटर दूध देती है। ग्राम सिगौरा निवासी संजीव अहमद खान को द्वितीय पुरस्कार मिला । इनकी गिरि नस्ल की गाय 17.406 लिटर दूध देती है। कृष्णानगर मुरार निवासी निरपद सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला है। इनकी गाय प्रतिदिन औसतन 16.829 लिटर दूध दे रही है। इनके अलावा 7 अन्य गाय पालकों को सांत्वना पुरस्कार के प्रमाण-पत्र दिए गए।
भैंस वंश – पुरानी छावनी निवासी उदय सिंह यादव की ग्रेडेड मुर्रा भैंस को प्रथम (17.135 लिटर दूध प्रतिदिन) । घासमण्डी मुरार निवासी मुकेश यादव की ग्रेडेड मुर्रा भैंस को द्वितीय (15.206 लिटर दूध प्रतिदिन) व पुरानी छावनी निवासी गोरेलाल सोलंकी की ग्रेडेड मुर्रा भैंस (14.984 लिटर दूध प्रतिदिन) को तृतीय स्थान का प्रमाण-पत्र मिला। इसके अलावा 7 भैंस पालकों को सांत्वना पुरस्कार दिए गए।