– ढोल-नगडिया की थाप पर जमकर नाची मौनियों की टोली
आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी।पर्यटन नगरी चंदेरी में आज सुबह से ही मौनियों की टोलियां पहुंचना शुरू हो गई ग्रामीण क्षेत्रों की मौनियों की टोलियां मौन धारण करके सीधे मंदिर पहुंची. जहां जागेश्वरी माता के दर्शन कर मौनिया नृत्य किया गया दीपावली के दूसरे दिन मौनिया तृत्य की परंपरा सालों से चली आ रही है जिस को बनाए रखने ग्रामीण क्षेत्रों से कई टोलियां चंदेरी पहुंची.
बुंदेलखंड में दीपावली का त्यौहार पॉच दिनों तक मनाया जाता है यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा एवं मौनी अमावस्या मनाई जाती है इस दिन अन्नकूट का भी आयोजन किया जाता है इसके साथ ही मोनी अमावस्य भी मनाई जाती है मौनी अमावस्या पर ग्रामीण अलग-अलग टोलियां बनाकर पीले कपड़ों में घुंघरू बांधकर एवं मोर पंख लेकर हाथों मे डाडिया के डंडे लेकर नाचते गाते हैं इस नृत्य में मौनीया पूरे दिन भर मौन व्रत धारण कर अपने साथियों के साथ गांव-गांव घूमने को निकलते है और जगह-जगह मोनिया नृत्य कर बुंदेली छटा बिखेरते हैं.
मौनियो की टोली ने अपने तय कार्यक्रम के अनुसार मंदिर दर्शन किए और अन्य मंदिरों पर भी पहुंचे और अपने अगले गांव की ओर चल पड़े अपने-अपने स्थानों पर जाकर जमकर मोनिया नृत्य किया.
आकर्षक वेशभूषा में दिखी टोलिया
मोनिया नृत्य के दौरान उनके पैरों में घुंघरू और विशेष ढोल नगाड़ों का संगीत इस दिन विशेष आकर्षण होता है मोनी अमावस्या के दिन मौनियो की टोलियां 12 गांव का भ्रमण करती है इसके बाद वह अपना मौन व्रत तोड़ते हैं और मंदिर जाकर भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करते हैं मौनियो की टोली मे मोर के पंख ,एक रंग की वेष-भूषा ,हाथों में डंडा रखा जाता है नृत्को की टोली में एक जोकर, नृत्यअंगना(पुरूष बनते है) दलदल घोड़ी ,कृष्ण की वेशभूषा पहने युवक आदि सम्मिलित होते हैं इस नृत्य में बुंदेली यंत्र नगडिया, ढोलक, मजीरा ,झेला हरमोनिया आदि लिए नजर आते हैं गायक छंद गीत मे सुर छेड़ता है और वादक उसी धुन में वाद्य यंत्र का प्रयोग करता है.