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पटवारी वैढ़न के रसूख के आगे प्रशासन भी नतमस्तक

सिंगरौली

सिंगरौली जिले का वैढ़न हल्का एक ऐसा हल्का है जहां एक बिंदी के बराबर की जमीन की यदि नक्शे में हेरफेर कर दिया जाये तो उसमें लाखों रूपये की कमाई हो जायेगी। मुख्यालय के हल्के में जमीनों के दाम इतने हैं कि यहां दो चार लाख रूपये की कीमत कुछ नहीं ऐसे में वैढ़न हल्का में जो भी पटवारी काम करता है वह एक तरह से जिले का सबसे कमाऊ कर्मचारी बन जाता है। वर्तमान में कई वर्षों से यहां उमेश नामदेव अंगद की तरह अपना पॉव जमाये हुये हैं। उमेश नामदेव के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों उन्हें निलंबित कर दिया गया परन्तु कुछ ही घंटों में उनका निलंबन वापस हो गया। इतने लम्बे समय से वैढ़न हल्के में अपना वर्चस्व जमाये पटवारी नामदेव कोई दूध के धुले नहीं हैं बल्कि अपनी पकड़ की बदौलत वह वैढ़न हल्का पर राज कर रहे हैं।

आय से अधिक संपत्ति का मामला हो या फर्जी हस्तांतरण का मामला, इस तरह की कई शिकायतें प्रशासन के पांस पहुंचती तो हैं परन्तु कोई कार्यवाही नहीं होती जिससे हल्का में रहने वाले लोगों में भी अब निराशा छा गयी है। जिले के अन्य पटवारियों के अपेक्षा बैढ़नन पटवारी ने अपनी अलग पहचान बनाई है। पटवारी श्री नामदेव की गिनती जिले के बड़े हवेली के मालिक रूप में होती है। समूचे बैढ़न में साहब की निलंबन की चर्चा जारी पर है। चचा है कि सोमवार को अपर कलेक्टर ने कार्य में लापरवाही बरतने में निलंबन का आदेश निकाला था। लेकिन दूसरे दिन ही अपर कलेक्टर ने तत्काल परवारी के बरी करके पटवारी के साथ स्वयं चचर्चाओं में आ गए है। अब यह चर्चा आम हो गयी है कि पटवारी साहब ने ऐसा क्या दाव पेंच खेला कि फौरन बहाल हो गए। पटवारी साहब की बहाली की बात किसी को हजम नहीं हो रही है। पटवारी के कार्यप्रणाली से पनप रहा आक्रोश भी जनचर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि की पटवारी दफ्तर में सोनी नामक व्यक्ति साहब की  देखभाल करता है, किससे कितना पैसा लेना है, किसको कितना पैसा देना है इसका लेखा जोखा भी उसी के पास रहता है। सवाल यहां यह उठता है कि पटवारी को कर्मचारी रखने की जरूरत किस लिये पड़त है? अन्य पटवारी तो कर्मचारी रखकर और आफिस खोलकर काम नहीं करते। इसलिये वैढ़न पटवारी के ऊपर उंगललिया उठनी अब लाजमी हो गया है।